भारत सीधा सऊदी अरब आने का सपना रखे हुए भारतीय प्रवासियों के लिए अब और लंबी लकीर खींची गई है. इसका जिम्मेदार अगर विस्तृत रूप से देखे तो कहीं ना कहीं भारतीय शासन ही है.
सऊदी अरब मई में अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को शुरू करने की कोशिश में जुट गया है और यह सब इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि सऊदी अरब पिछले 1 साल से या कहे तो कोरोनावायरस आने के बाद लगातार स्थिति को सुधारने में लगा रहा और उसका असर भी साफ देखा जा सकता है. सऊदी अरब में कुछ हद तक मामले तो बड़े हैं लेकिन मृत्यु दर में काफी बड़ी कमी आई.
वहीं भारत की बात करें तो पिछले 1 साल में भारत में केवल चुनावी रैलियां और चुनाव संबोधन और राजनीतिक कार्यक्रम चलते रहे आपदा से सीखना नहीं बल्कि आपदा के ऊपर भी मार्केटिंग कर दी गई और खासकर से भारत के मेंस्ट्रीम मीडिया ने तो पूरे मामले का भगवाकरण कर दिया. भगवाकरण का सपेक्षय तबलिगही जमात और कुंभ के मेले को देखते हुए दे रहा हूं.
अब इसका सबसे हास्यास्पद असरिया साफ दिख रहा है कि भारत में हर एक जगह करो ना इस कदर बेकाबू हो रहा है कि ना अस्पतालों में बेड हैं नहीं ऑक्सीजन. शवदाह गृह में लगातार पंक्तियां लगी हुई है.
अब बात करें तो सऊदी अरब ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं केवल उन्हीं देशों के साथ खोली जाएंगी जहां पर कोरोनावायरस थी काबू में होगी लेकिन भारत की परिस्थिति देखकर तो किसी भी कीमत पर नहीं लगता कि यहां परिस्थितियां काबू में होने वाली है खासकर से उस देश की जिस देश के प्रधानमंत्री एक और लोगों से अपील करते हैं कि वह 2 गज की दूरी बनाए वहीं रैलियों में एक के ऊपर दो चढ़े हुए लोगों को आमंत्रित भी करते हैं.
भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा और देश की स्थिति के व्यापक जिम्मेदारी लिए गृह मंत्री भी इसी स्थिति में है कि वह हर जगह चुनावी रैलियों में शामिल हो रहे हैं और लोगों को शामिल कर आ रहे हैं.
खैर इसका खामियाजा आपको उस स्टेट में नहीं दिखेगा जहां पर चुनाव है क्योंकि वहां पर अभी कोरोना नहीं चुनाव चल रहा है जब चुनाव खत्म हो जाएगा पुराना अपने आप वापस आ जाएगा जिन जगहों पर चुनाव हो चुके हैं वहां पर कोरोनावायरस प्रभाव में आ चुका है वहां पर तब से बात की जा रही हर्द इम्यूनिटी और लोगों के आत्मनिर्भर पैकेज भी खत्म हो चुके हैं और अब लोग सड़कों पर गिर गिर कर अपनी जान गवा रहे हैं.
भारत में जब कोरोनावायरस की शुरुआत हुई थी तब सारे मुख्यमंत्री या लुभावने ऑफर अपने-अपने राज्य में जरूर चलाए थे कि उनके पास प्रवासियों के लिए पर्याप्त मात्रा में नौकरियां हैं लेकिन अभी की परिस्थिति देखें तो नौकरी आ रही है लोगों के पास और जिनके पास रोजगार के साधन थे अब वह साधन भी खत्म हो चुके हैं लेकिन भारत की स्थिति सुधारने के बजाय और बिगड़ गई है.
जो लोग भारत में रोजगार नहीं प्राप्त कर पाए और इस भरोसे में अपने सरकार के पास वापस गए थे कि उनकी सरकारें उनकी सुनेंगे और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करेगी अब वह लोग सऊदी अरब जैसे देशों में वापस आने के लिए बेताब हैं और घर द्वार तक बेचने को तैयार हैं लेकिन इसके बावजूद कोई रास्ता नहीं दिख रहा है क्योंकि अब स्थितियां भारत सरकार के रवैया के वजह से बदल गई हैं कोरोनावायरस का प्रसारण कुछ इस प्रकार हुआ है कि वह अब खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका है.
अंत में एक बात और कहूंगा कि अगर आप आज भारत में अस्पताल के लिए और सुविधा के लिए रो रहे हैं और व्याकुल हो रहे हैं तो बहुत देर हो चुकी है क्योंकि जब आपको आवाज उठाने थी उस वक्त आपने मंदिर मस्जिद और पाकिस्तान के टमाटर की बात की आप अपने ही लोगों में दुश्मन खोजने में व्यस्त थे लेकिन अब इसका कोई फायदा नहीं पानी नाक से ऊपर जा चुका है और अब आपको अस्पताल और डॉक्टर सुविधाओं के बजाय जिस चीज की खेती आप ने की थी वह चारों ओर फैली हुई है और उसी के उत्पादन को आप काटेंगे और उसके साथ ही जिएंगे.