भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए हैं, और अब सरकार क्रेडिट कार्ड से होने वाले अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की रियल टाइम निगरानी करने की योजना बना रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जब कोई लेनदेन होता है, तो तुरंत यह पता लगाया जा सके कि पैसा किस खाते से कटा और किसके खाते में गया है।
एफएटीएफ के साथ सहयोग:
भारत, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के माध्यम से यह निगरानी प्रणाली लागू करना चाहता है। एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ काम करता है। भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडिट कार्ड के जरिए किए गए सभी लेनदेन पर निगरानी रखी जाए और अगर कोई संदिग्ध लेनदेन हो रहा है, तो उसकी तुरंत रिपोर्टिंग हो सके।
19 सितंबर को रिपोर्ट:
एफएटीएफ 19 सितंबर को भारत पर अपनी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करेगा। इसमें भारत की मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ की गई कोशिशों का मूल्यांकन किया जाएगा। संभावना है कि भारत को फिर से बेहतर रैंकिंग मिलेगी, क्योंकि भारत लगातार एफएटीएफ के मानकों का पालन करता आया है।
मनी लॉन्ड्रिंग पर कड़ा प्रहार:
भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग पर कड़ी कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और संगठित अपराध को रोकने का काम किया है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर सख्त निगरानी हो, जिससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत ट्रैक किया जा सके।
क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर नजर:
मास्टरकार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस और अन्य कई भुगतान गेटवे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडिट कार्ड के जरिए ग्राहकों को लेनदेन की सुविधा देते हैं। इस नियम के लागू होने से, अगर कोई संदिग्ध लेनदेन होता है, तो उसकी जानकारी तुरंत संबंधित अधिकारियों को दी जा सकेगी, जिससे आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गंभीर समस्याओं पर नकेल कसी जा सकेगी।