रेड सी (लाल सागर) में पड़ी इंटरनेट केबल्स कट जाने से यूएई, भारत, पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवायें प्रभावित हो गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन केबल्स की मरम्मत करने में चार से छह हफ्ते तक का समय लग सकता है।
दुबई स्थित अमिटी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ डॉ. सरथ राज ने बताया कि मरम्मत की प्रक्रिया आसान नहीं होती। खास जहाज़ समुद्र की गहराई से टूटी केबल ढूंढते हैं, उसे ऊपर लाकर जोड़ते हैं और फिर टेस्ट करते हैं। इस वजह से समय ज़्यादा लगता है। अभी इंटरनेट ट्रैफिक को दूसरे केबल्स के ज़रिए रूट किया जा रहा है, लेकिन इससे स्पीड धीमी हो जाती है और नेटवर्क पर दबाव बढ़ जाता है। एलन मस्क का स्टारलिंक जैसे सैटेलाइट इंटरनेट यूएई में अभी शुरू नहीं हुआ है।
रेड सी दुनिया की इंटरनेट लाइनों के लिए बेहद अहम मार्ग है, जो यूरोप, अफ्रीका और एशिया को जोड़ता है। यहां पहले भी 2008 और 2023 में इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। कई बार केबल्स जहाज़ों के एंकर से कट जाती हैं और कुछ मामलों में हूती विद्रोहियों पर हमले का शक भी जताया गया है। यूएई के कई यूज़र्स ने सोशल मीडिया और कामकाज में दिक्कतों की शिकायत की है। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म, रिसर्च वेबसाइट्स और सोशल मीडिया साइट्स धीमी हो गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना दिखाती है कि पूरी दुनिया इंटरनेट के लिए समुद्र के नीचे बिछी केबल्स पर ही निर्भर है। सैटेलाइट से सिर्फ 1% से भी कम डेटा ट्रांसफर होता है, जबकि 97-99% डेटा इन्हीं केबल्स से गुजरता है। इसलिए भविष्य में केबल्स और सैटेलाइट दोनों का मिलाजुला सिस्टम सबसे सुरक्षित उपाय माना जा रहा है।




