2 सितंबर 2025 को सेमिकोन इंडिया 2025 कार्यक्रम में भारत के केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का पहला पूरी तरह से स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर विक्रम 3201 सौंपा। इस चिप को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला ने विकसित किया है।
वैष्णव ने कहा कि 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच के तहत हुई थी। मात्र 3.5 वर्षों में दुनिया ने भारत पर विश्वास करना शुरू कर दिया है। इस दौरान पाँच सेमीकंडक्टर यूनिटों का निर्माण तेजी से चल रहा है।
सेमीकंडक्टर क्या हैं?
सेमीकंडक्टर ऐसे पदार्थ होते हैं जो न पूरी तरह चालक (कंडक्टर) होते हैं, न पूरी तरह इंसुलेटर। उदाहरण के लिए, तांबे की तार चालक है, जबकि कांच इंसुलेटर। सेमीकंडक्टर में, जब कुछ पदार्थ मिलाए जाते हैं और विद्युत क्षेत्र लगाया जाता है, तो बिजली का प्रवाह शुरू हो जाता है।
सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ट्रांजिस्टर इनके माध्यम से बनाए जाते हैं। ट्रांजिस्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का मूल घटक हैं।
इतिहास और विकास
-
पहले वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग होता था, लेकिन ये बड़े, गर्म और अस्थिर होते थे।
-
1947 में ट्रांजिस्टर के आविष्कार से यह समस्या हल हुई।
-
1958 में जैक किल्बी ने पहला इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) बनाया, जिसे सामान्य भाषा में चिप कहा गया।
-
1971 में इंटेल ने पहला माइक्रोप्रोसेसर 4004 लॉन्च किया।
आधुनिक सेमीकंडक्टर चिप्स
आज के चिप्स में ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर, रेसिस्टर और उनके बीच कनेक्शन एक सिलिकॉन वेफर पर बनाए जाते हैं। ये लगभग सभी आधुनिक उपकरणों — स्मार्टफोन, सुपरकंप्यूटर, इलेक्ट्रिक कारों, मिसाइलों आदि — में उपयोग होते हैं।
निर्माण प्रक्रिया
चिप्स का निर्माण फाउंड्री में होता है, जिसमें सिलिकॉन को पतले वेफर में काटा जाता है। इसके बाद इसे पॉलिश और ग्राउंड किया जाता है और IC इंस्टॉल किया जाता है। पूरी प्रक्रिया में क्लीन रूम्स की आवश्यकता होती है ताकि किसी प्रकार का कण (Dust) चिप को प्रभावित न करे। इस प्रक्रिया में 500–1500 स्टेप्स हो सकते हैं।



