आयकर विभाग ने हाल के वर्षों में एआई का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी के मामलों पर कड़ी नजर रखी है। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि एआई का मुख्य उद्देश्य गलत तरीके से आयकर रिटर्न में किए गए दावों को पकड़ना है।
कैसे काम करता है एआई?
- गलत दावों की पहचान:
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए किसी व्यक्ति ने हर महीने 15,000 रुपये का हाउस रेंट दिखाकर छूट का दावा किया, जबकि वास्तव में वह किराए पर नहीं रह रहा। एआई उस व्यक्ति के पैन कार्ड पर दर्ज जानकारी का मिलान करके उसे संदिग्ध केस के रूप में चिह्नित कर देता है। - आय में छिपी हेराफेरी:
यदि किराये से होने वाली आय को वार्षिक आमदनी में शामिल नहीं किया जाता, तो एआई तुरंत रिपोर्ट जनरेट करता है। इस साल हजारों मामलों में ऐसे संदिग्ध मामलों को चिह्नित कर दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं।

अन्य हेराफेरी के संकेत:
- बच्चों की ट्यूशन फीस में गड़बड़ी:
करदाताओं द्वारा ट्यूशन फीस दिखाने में भी हेराफेरी की गई है, जिसे एआई ने आसानी से पकड़ लिया। - संदिग्ध लेन-देन:
- एक वर्ष के अंदर किसी पैन कार्ड नंबर पर अप्रत्याशित लेन-देन होना।
- बैंक खातों में अचानक बड़े कैश जमा होना या बड़ी संपत्ति की खरीद।
- बैंक खाते से प्रॉपर्टी खरीदते वक्त अधिक भुगतान करके रिटर्न में कम दावे करना।
- वित्तीय वर्ष में जमा धनराशि का सही ब्यौरा न देना।
- किराये के रूप में बड़े भुगतान होने पर टीडीएस जमा न होना।
इस तरह, एआई के बेसिक मॉडल का वर्तमान में उपयोग करके विभाग ने टैक्स चोरी के हजारों मामलों पर काबू पाया है। भविष्य में विभाग एडवांस एआई मॉडल अपनाने की तैयारी में है, जिससे संदिग्ध मामलों की पहचान और भी तेज हो जाएगी। गलती पाए जाने पर लोगो पर नोटिस किया जाएगा और सही जवाब ना मिलने पर जुर्माना तय लिया जाएगा.




