आयकर विभाग ने हाल ही में आईटीआर (आयकर रिटर्न) फाइलिंग को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। विभाग का कहना है कि कई लोग अपने रिटर्न में फर्जी दावे कर रहे हैं, जिससे न केवल उनकी रिफंड प्रक्रिया में देरी हो रही है, बल्कि यह एक दंडनीय अपराध भी है। आयकर विभाग ने खासतौर पर तीन प्रकार के फर्जीवाड़े की ओर इशारा किया है, जो अक्सर करदाताओं द्वारा किए जा रहे हैं।
1. खर्चों के लिए फर्जी दावे:
आयकर विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई लोग ऐसे खर्चे दिखाकर डिडक्शन (कटौती) लेने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तव में उन्होंने किए ही नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ लोग मेडिकल खर्च, यात्रा खर्च, या अन्य व्यक्तिगत खर्चे दिखाकर टैक्स कटौती का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं। आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे फर्जी दावे करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह कानूनी रूप से गलत है और पकड़े जाने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
2. कटौती को बढ़ा-चढ़ाकर बताना:
कई करदाता अपने वास्तविक खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं। वे गलत खर्च नहीं दिखा रहे होते, लेकिन खर्च की राशि को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने चिकित्सा खर्चों पर ₹10,000 खर्च किए हैं, तो वे इसे ₹50,000 दिखाते हैं। आयकर विभाग ने कई ऐसे मामलों का पर्दाफाश किया है और करदाताओं को सचेत किया है कि वे ऐसा न करें।
3. अपनी आय को कम बताना:
कुछ लोग अपनी वास्तविक आय को कम दिखाते हैं ताकि उनकी टैक्स देनदारी कम हो जाए। विशेष रूप से, नौकरीपेशा लोग अपने अन्य स्रोतों से हुई आय को छुपा लेते हैं। इससे उन्हें रिबेट (छूट) का लाभ मिलता है और कई बार पूरा टैक्स माफ हो जाता है। लेकिन जब आयकर विभाग द्वारा जांच होती है, तो अतिरिक्त टैक्स देनदारी बन जाती है और उन्हें अधिक टैक्स चुकाना पड़ता है।
फर्जी दावों के गंभीर परिणाम:
आयकर विभाग ने सभी करदाताओं को सचेत किया है कि फर्जी दावे करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी गलत है। ऐसा करने पर दंड और जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा, फर्जी दावों की जांच के कारण आईटीआर रिफंड में भी देरी हो सकती है, जिससे करदाताओं को असुविधा होती है।