जुगाड़ वाहन से यात्रा के दौरान गिरकर दो युवकों की मौत के मामले में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने स्वजन की क्षतिपूर्ति की मांग को खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि जुगाड़ वाहन से यात्रा के दौरान दुर्घटना होने पर यह लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह वाहन कानून के तहत अधिकृत नहीं है। इसका न पंजीकरण होता है और न ही बीमा का प्रविधान है। सड़क पर दौड़ते ये वाहन दूसरों के जीवन के लिए खतरा हैं। यह भी प्रतीत होता है कि दुर्घटना का शिकार हुए दोनों युवकों को अपनी सुरक्षा की चिंता नहीं थी, तभी वह ऐसे वाहन पर सवार हुए। साथ ही ट्रिब्यूनल ने कहा कि जुगाड़ वाहन चालक पर भारतीय दंड संहिता में दिए प्रविधानों के तहत नियमों की अनदेखी के लिए अभियोग चलाया जा सकता है और क्षतिपूर्ति के लिए दीवानी वाद दायर किया जा सकता है।

 

गीता कालोनी फ्लाईओवर पर श्मशान घाट के पास 19 नवंबर, 2017 को जुगाड़ वाहन (रिक्शा या ठेला में स्कूटर-बाइक का इंजन जोड़कर बनाया गया वाहन) से गिरकर मोंटून और मोहम्मद शमशाद की मौत हो गई थी। दोनों वाहन पर रखी पेटियों पर बैठकर यात्रा कर रहे थे। ये दोनों गीता कालोनी क्षेत्र में अलग-अलग जगह रहते थे।

 

युवकों के स्वजन ने जनवरी, 2018 में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में क्षतिपूर्ति के लिए वाद दायर करते हुए आरोप लगाया कि दुर्घटना जुगाड़ वाहन के चालक गांधी नगर घास मंडी निवासी राजकुमार उर्फ राजू की लापरवाही से हुई थी। चालक ने इसे लेकर आपत्ति जताते हुए पक्ष रखा कि उसका वाहन मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नहीं आता है। ऐसे में क्षतिपूर्ति मांगने का दावा नहीं बनता। ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी समर विशाल ने पाया कि चश्मदीद के अभाव में चालक की लापरवाही को साबित नहीं किया जा सकता । ऐसे तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया।

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