कुवैत के न्याय मंत्री, काउंसलर नासिर अल-सुमैत ने पुष्टि की है कि 2030 तक देश की न्यायपालिका पूरी तरह से “कुवैतीकृत” हो जाएगी। इसका मतलब है कि वर्तमान में कई न्यायिक पदों पर काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों की जगह योग्य कुवैती नागरिक नियुक्त किए जाएंगे। यह पहल स्थानीय प्रतिभा को मजबूत करने, राष्ट्रीय पेशेवरों को सशक्त बनाने और कानूनी क्षेत्र को आधुनिक बनाने के व्यापक सुधारों का एक मुख्य हिस्सा है।
इस संक्रमण की प्रक्रिया सभी न्यायिक विभागों में शुरू हो चुकी है और कानूनी सुधार भी लागू किए जा रहे हैं ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और दक्षता बढ़ सके। न्याय मंत्री ने कहा कि प्रक्रियायें पहले ही कई विभागों में शुरू हो चुकी हैं और सभी नियुक्तियों व पदोन्नतियों में कुवैती उम्मीदवारों की क्षमता, प्रशिक्षण और तत्परता को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह पहल अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हो रहे कुवैतीकरण अभियान के अनुरूप है। तेल उद्योग, इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्रों में पहले से ही कुवैतीकृत कार्यबल का उदाहरण देखा जा सकता है। Manpower Contractors Kuwaitization Initiative जैसी योजनाएँ स्थानीय कर्मचारियों को उचित वेतन, लाभ और स्थिर रोजगार सुनिश्चित करती हैं। 2024 तक Kuwait Petroleum Corporation (KPC) और इसकी सहायक कंपनियों में शीर्ष पदों पर पूरी तरह राष्ट्रीय कर्मचारियों की नियुक्ति हो चुकी है।
सख्त भर्ती नियम अब तकनीकी और पेशेवर पदों, जैसे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून, शिक्षा, लेखा और वित्त, में लागू किए गए हैं। विदेशी उम्मीदवारों को ऑनलाइन पेशेवर परीक्षा पास करनी होगी और उनके शैक्षिक और कार्य अनुभव की कुवैती दूतावासों और आधिकारिक संस्थाओं के माध्यम से जांच की जाएगी। सुरक्षा-संबंधी पदों के लिए मंत्रालय की मंजूरी से पहले Public Authority for Manpower से स्पष्ट मंजूरी जरूरी है।
कुल मिलाकर, कुवैत का यह व्यापक कुवैतीकरण अभियान न्यायपालिका और अन्य क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिभा को सशक्त बनाने, श्रम बाज़ार को आधुनिक बनाने और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने की रणनीति का हिस्सा है। इसमें कानून में सुधार, सख्त भर्ती नियम और घरेलू प्रतिभा पर जोर दिया गया है, ताकि देश की संस्थाएँ सक्षम, स्वतंत्र और वैश्विक मानकों के अनुरूप बन सकें।
कुवैत के इस कदम से भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है। एक रिपोर्ट की माने तो 1 दिसंबर 2024 तक कुवैत में लगभग 10 लाख 7 हजार भारतीय नागरिक रह रहे थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत है। 2025 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि कुवैत की कुल आबादी में 70 फीसदी लोग प्रवासी हैं, जिनमें से लगभग 29 प्रतिशत भारतीय हैं। साल 2025 की पहली तिमाही की लेबर रिपोर्ट में बताया गया है कि कुवैत में लगभग 884,000 भारतीय कार्यरत हैं। कुवैत में इतनी बड़ी भारतीय आबादी को देखते हुए कुवैतीकरण का सबसे बड़ा असर भारतीयों या फिर यूं कहें कि भारत पर ही होने वाला है। कुवैत में भारतीयों को नौकरी मिलना अब आसान नहीं होने वाला है।




