पंजाब में कर्फ्यू/लॉकडाउन की अवधि 1 मई तक बढ़ा दी गई है। यह फैसला आज यहां हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इससे पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दोपहर में ही कर्फ्यू बढ़ाने के संकेत दे दिए थे। कैप्टन ने कहा कि 15 अप्रैल से राज्य में गेहूं की खरीद शुरू होगी। इस दौरान किसानों को छूट दी जाएगी। कैप्टन के इस बयान में स्पष्ट संकेत था कि कि राज्य में Corornavirus COVID-19 के मामलों को देखते हुए कर्फ्यू बढ़ेगा।
सुबह वीडियो कांफ्रेंसिंग के पत्रकारों से बातचीत में कैप्टन ने कहा था कि पंजाब सरकार कर्फ्यू/लॉकडाऊन को बढ़ाने सम्बन्धी गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि पाबंदियां ख़त्म करने संबंधी अभी तक समय उपयुक्त नहीं लग रहा। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि लॉकडाऊन असीमित समय के लिए नहीं हो सकता, इसके लिए पंजाब सरकार राज्य में से पाबंदियों को तरीके से ख़त्म करने के उपबंधों संबंधी विचार किया जा रहा है। सरकार प्रयास कर रही है कि कोरोनावायरस के चलते भी राज्य में आम जैसा कामकाज चालू हो सके। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी जिसमें डॉक्टर, मेडिकल और अन्य क्षेत्रों के माहिर की तरफ से हालातों का जायज़ा लिया जा रहा है।
भारत में इस बीमारी संबंधी सामने आ रहे तथ्यों और कोविड -19 संबंधी विश्व स्तर पर उभर रहे समीकरणों संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा, फि़लहाल यह जंग की शुरुआत है और भारत में अगामी महीने में हालात गंभीर चुनौतियों भरे हो सकते हैं। ऐसे हालात में किसी भी राज्य के लिए कर्फ्यू को खत्म करना आसान नहीं होगा। वीरवार को रिपोर्ट हुए 27 पॉजिटिव मामलों (जो अब तक राज्य के लिए एक दिन में आए सबसे अधिक केस हैं) की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह केस सेकेंडरी ट्रांसमिशन के हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकेत है कि राज्य कम्युनिटी ट्रांसमिशन की तरफ जा सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि अगामी सप्ताहों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। कैप्टन ने कहा कि संकेत चाहे चिंता भरे हैं परन्तु हम हर स्थिति से पूरी ताकत से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चाहे मौजूदा समय में पंजाब में ज़्यादातर राज्यों के मुकाबले मामले कम हैं, परंतु अगर महामारी और फैलती है तो राज्य अकेला नहीं रह सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरी माहिरों और वैज्ञानिकों के सुझावों के अनुसार यह महामारी भारत में जुलाई -अगस्त के महीने शिखर पर पहुंचेगी, जिससे भारत के 58 फीसद और पंजाब के 87 फीसद लोगों के प्रभावित होने की संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में कोई भी राज्य सरकार आसानी से ही इन पाबंदियों को ख़त्म नहीं कर सकती। उन्होंने साथ ही ज़ोर देए हुए कहा कि हमें इस बीमारी के फैलने से रोकने के लिए पूरी तरह सचेत रहना पड़ेगा। उन्होंंने कहा कि पंजाब इन तथ्यों के आधार पर इस बीमारी से जूूझने के लिए तैयारी कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की तरफ से बीते दिन देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जारी किए गए 15000 करोड़ रूपयों को बहुत कम करार दिया और इसको पूरी तरह रद करते हुए कहा कि यह किसी तरीके भी भारत के 1.4 बिलियन लोगों के लिए यह रकम काफ़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के पास इतने स्रोत नहीं कि वह केंद्र की सहायता बिना कोरोना के खि़लाफ़ यह जंग लड़ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्यों को यह जंग लडऩे के काबिल बनाने के लिए और ज्यादा फंड जारी करने का मामला ज़ोरदार तरीके से उठाएंगे।
मुख्यमंत्री ने इस संकट से निपटने के लिए पंजाब के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग को दोहराते हुए कहा, केंद्र की तरफ से पंजाब के जीएसटी के लंबित पड़े बकाए के एक हिस्से को जारी किया गया है, जो कि राज्य की तनख्वाहों आदि की ज़रूरतों को भी मुश्किल से ही पूरा करेगा। पंजाब में कोरोना के फैलाव में तबलीगी जमात के संबंधी पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि उनकी सरकार ने 651 व्यक्तियों की सूची हासिल की है जो राज्य में आए थे और इनमें से अब तक 636 व्यक्तियों को ढूँढा जा चुका है और 27 के टेस्ट पाजि़टिव आए हैं।
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