जीएसटी परिषद ने कुछ खाद्य पदार्थों, अनाज आदि पर कर छूट वापस ले ली है और अब इन पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा। इस फैसले के बाद पैकेट बंद दही, लस्सी और छाछ जैसे दूध उत्पादों के दाम बढ़ने तय हैं। इसके अलावा गेहूं और अन्य अनाज के आटा और गुड़ पर पांच फीसदी जीएसटी लगने से आने वाले समय में पैकेट बंद दूध भी महंगा हो सकता है जो अभी जीएसटी के दायरे से बाहर है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी परिषद के इस कदम से डेयरी कंपनियों को अतिरिक्त लागत के प्रभाव से गुजरने के लिए अपने उपभोक्ता मूल्यों में बढ़ोतरी करने पर मजबूर होना पड़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 47 वीं बैठक में जीएसटी परिषद ने छूट को वापस लेने के तहत कहा कि अब तक, ब्रांडेड नहीं होने पर निर्दिष्ट खाद्य पदार्थों, अनाज आदि पर जीएसटी में छूट दी गई थी या ब्रांड पर अधिकार छोड़ दिया गया था जिसे संशोधित करने की सिफारिश की गई है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अनिरुद्ध जोशी, मनोज मेनन, करण भुवानिया और प्रांजल गर्ग ने अपने शोध नोट में कहा कि दही और लस्सी पर जीएसटी की दर वर्तमान में शून्य है जिसे पांच फीसदी किया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकांश डेयरी कंपनियों के लिए दही एक प्रमुख उत्पाद है और उनकी कुल कमाई में दही और लस्सी का योगदान 15 से 25 फीसदी है।
उपभोक्ताओं पर कितना बढ़ेगा बोझ
विश्लेषकों के अनुसार, दही पर पांच जीएसटी लगाने के फैसले को देखते हुए डेयरी कंपनियां इनपुट क्रेडिट (पैकेजिंग सामग्री, कुछ कच्चे माल, विज्ञापन-व्यय, परिवहन और माल ढुलाई लागत, आदि) प्राप्त करने में सक्षम होंगी। उन्होंने कहा, इस स्थिति में हमारा मानना है कि जीएसटी का शुद्ध प्रभाव उपभोक्ताओं पर दो से तीन फीसदी की सीमा में होगा।
अधिकांश डेयरी उत्पाद जीएसटी के दायरे में
दही और लस्सी पर जीएसटी लगाने के फैसले को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि अब ज्यादातर डेयरी उत्पाद जीएसटी के दायरे में हैं। कुछ डेयरी उत्पाद जैसे आइसक्रीम, पनीर और घी पहले से ही जीएसटी के दायरे में हैं। हालांकि, अभी भी पैकेज्ड दूध पर कोई जीएसटी नहीं है।