बेहद साधारण और सुस्त कारोबार के बीच शनिवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में मामूली गिरावट रही जबकि बाकी अन्य सभी तेल-तिलहनों कीमतें पूर्ववत बंद हुई। विदेशी बाजार आज बंद होने से कारोबार काफी सुस्त रहा जिस दौरान अधिकांश तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में सूरजमुखी तेल इतना सस्ता हो चला है कि इतिहास में पहली बार इसका भाव पामोलीन से भी कम है। इस स्थिति का फायदा लेते हुए सरकार को भविष्य के लिए बेहद सस्ते दाम पर सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के 20-30 लाख टन का स्टॉक बना लेना चाहिये। इससे विदेशों में दाम बढ़ने की स्थिति में इस तेल का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए निविदा मंगवाकर रिफाइंड करने वाले कारोबारियों के जरिये आयात करवाना चाहिये और बाद में पैकिंग कर राशन की दुकानों और अन्य स्थानों पर बिकवाना चाहिये। ऐसे में निम्न आयवर्ग के साथ साथ मध्यम वर्ग को भी सूरजमुखी और सोयाबीन तेल सस्ता मिलेगा और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) कम करवाने की चिंता से मुक्ति मिलेगी।
सूत्रों ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार आयातित खाद्यतेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दे। इससे जो लाभ मिलेगा, उससे वह कमजोर आय वर्ग के लोगों व अन्य लाभार्थियों को सीधे बैंक खाते में सरकारी सहायता के रूप में भुगतान कर सकती है। तेल मिलों ने भी सरकार से गुहार लगाई है कि उसकी चिंताओं की ओर ध्यान दिया जाये जो पेराई के अभाव में बंद हो रही हैं और वहां काफी कर्मचारियों के रोजगार खत्म हो रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि भविष्य में सरकार को कभी आयात शुल्क घटाने या शुल्क मुक्त आयात जैसा फैसला नहीं करना चाहिये। इसकी जगह सरकार को खाद्यतेल आयात करवाकर राशन की दुकानों के जरिये वितरण करने जैसी पुरानी सफल व्यवस्था की ओर जाना चाहिये। मौजूदा अनुभव इस बात को सामने लाया कि शुल्क मुक्त आयात के बावजूद उपभोक्ताओं को खाद्य तेल सस्ते में उपलब्ध नहीं हो पाया, जिसके बाद सरकार को बार बार खाद्य तेल कंपनियों और पैकरों को एमआरपी कम करने का निर्देश देना पड़ा।
सूत्रों ने कहा कि खेती किसानी में तिलहन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हर किसान जुड़ा हुआ है। किसान ही सबसे अधिक मवेशी भी पालते हैं जिन मवेशियों के आहार – तेल खल, भी हमें तिलहनों से ही मिलता है। यानी पूरा डेयरी उद्योग तिलहन से जुड़ा है। देशी तेल तिलहनों की पेराई कम होने से खल महंगा होने से दूध के दाम कई दफा बढ़ाने पड़े हैं। इस ओर सरकार को खास तवज्जो देना ही होगा। पहले उत्तर प्रदेश सरसों की खेती में काफी आगे था लेकिन अब पिछड़ गया है।
उन्होंने कहा कि एक स्थिर वातावरण (सुनिश्चित बाजार, अच्छी कीमत) का निर्माण कर किसानों के भरोसे को बढ़ाकर तिलहन पैदावार बढ़ाना कोई मुश्किल काम नहीं है।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
- सरसों तिलहन – 4,740-4,840 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली – 6,225-6,285 रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,600 रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली रिफाइंड तेल 2,330-2,605 रुपये प्रति टिन।
- सरसों तेल दादरी- 9,190 रुपये प्रति क्विंटल।
- सरसों पक्की घानी- 1,570 -1,650 रुपये प्रति टिन।
- सरसों कच्ची घानी- 1,570 -1,680 रुपये प्रति टिन।
- तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,100 रुपये प्रति क्विंटल।
- सीपीओ एक्स-कांडला- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,050 रुपये प्रति क्विंटल।
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
- पामोलिन एक्स- कांडला- 8,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन दाना – 5,090-5,165 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन लूज- 4,865-4,940 रुपये प्रति क्विंटल।
- मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।