भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उन बैंकों को डिविडेंड घोषित करने की अनुमति दी है, जिनका शुद्ध NPA अनुपात 6 फीसदी से कम है। यह प्रस्ताव बैंकों के लिए लाभांश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
नई गाइडलाइन्स की ओर एक कदम RBI ने डिविडेंड घोषणा के लिए अपने नए दिशानिर्देशों का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया है, जिसमें बैंकों के शुद्ध NPA अनुपात को 6 फीसदी तक सीमित करने का प्रस्ताव है। इससे पहले यह सीमा सात फीसदी थी।
सुझावों की मांग केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 से इसे लागू करने की बात कही है। इसके लिए 31 जनवरी तक सुझाव मांगे गए हैं।
लाभांश घोषणा के नियम किसी भी कॉमर्शियल बैंक के लिए लाभांश घोषित करने के लिए उसके पास न्यूनतम 11.5 फीसदी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात होना चाहिए। लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों के लिए यह अनुपात 15 प्रतिशत और स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों के लिए नौ प्रतिशत है।
लाभांश भुगतान अनुपात में वृद्धि RBI ने लाभांश भुगतान अनुपात पर ऊपरी सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है।
📊 महत्वपूर्ण जानकारी तालिका 📊
- RBI द्वारा प्रस्तावित NPA अनुपात: 6%
- पूर्व NPA अनुपात सीमा: 7%
- ड्राफ्ट प्रस्ताव की तारीख: 31 जनवरी
- लागू होने का वर्ष: वित्त वर्ष 2024-25
- पूंजी पर्याप्तता अनुपात:
- कॉमर्शियल बैंक: 11.5%
- लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक: 15%
- स्थानीय क्षेत्रीय बैंक: 9%
- लाभांश भुगतान अनुपात की ऊपरी सीमा: 50%