pre-owned cars new regulation. पुरानी कारों की खरीद और बिक्री में धोखाधड़ी रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने नियमों में अहम बदलाव किए हैं. खास तौर पर डीलरों के लिए नियम कड़े किए गए हैं। एक अप्रैल, 2023 से लागू होने जा रहे इन नियमों का उद्देश्य ऐसी गाड़ियों के बाजार में कारोबारी सुगमता लाना है। अभी पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री में अक्सर तमाम तरह के विवाद खड़े होते हैं।
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सबसे बड़ी समस्या पुराने वाहनों की खरीद में उसके ट्रांसफर, थर्ड पार्टी डैमेज की जिम्मेदारी और डिफाल्टर के निर्धारण में आती है। मंत्रालय ने प्री ओन्ड कारों के बाजार में और पारदर्शिता लाने के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत डीलरों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए आथराइजेशन सर्टिफिकेट यानी उनके अधिकृत होने का प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है. मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के तीसरे अध्याय में संशोधन किया है ताकि प्री ओन्ड कारों के बाजार के लिए व्यापक नियामक तंत्र बनाया जा सके।
अधिसूचना के अनुसार पंजीकृत वाहन स्वामी और डीलरों के बीच वाहन की डिलेवरी की एक प्रक्रिया तय की गई है। पंजीकृत वाहन को अपने पास रखने के बारे में डीलरों के अधिकारों और दायित्व तय किए गए हैं। उन्हें यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने कब्जे वाले वाहनों के पंजीकरण प्रमाणपत्र वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र के नवीनीकरण से लेकर डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, एनओसी वाहनों के स्वामित्व के स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
वाहनों के उपयोग का देना होगा पूरा ब्योरा
एक नियामक उपाय के रूप में इलेक्ट्रानिक वाहनों के रखरखाव संबंधी ट्रिप रजिस्टर रखना अनिवार्य कर दिया गया है. इसमें वाहनों के उपयोग का पूरा ब्योरा देना होगा, जैसे गंतव्य स्थान कौन सा था, जाने का कारण, ड्राइवर, माइलेज, समय आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। अधिसूचना के अनुसार ये नियम पंजीकृत वाहनों के डीलरों की पहचान करने और उन्हें अधिकार देने में सहायक साबित होंगे। देश में प्री ओन्ड कारों का बाजार धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है। हाल के वर्षों में आनलाइन मार्केट का क्षेत्र जिस तरह बढ़ा है, उससे प्री ओन्ड कारों की खरीद और बिक्री में भी तेजी आई है, लेकिन इनकी निगरानी के तंत्र को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे.