सरकार किसी व्यक्ति की टीसीएस से बाहर आय के स्रोत पर की गई कर कटौती (टीडीएस) को उसके भुगतान के लिए स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) से संबद्ध करने की कवायद में जुटी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि टीसीएस को टीडीएस के साथ संबद्ध करने के पीछे यह सोच है कि व्यक्तिगत करदाताओं के नकद प्रवाह पर कोई असर न पड़े.
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईओ) अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि टीसीएस और टीडीएस में के बीच कोई मेल न होने से परेशान होने वाले करदाताओं को नई व्यवस्था से राहत मिलेगी.
यह होता है टीसीएस, टीडीएस :
आम सरकार की यह कोशिश ऐसे समय सामने आई है जब विदेशों में एक खास सीमा से अधिक खर्च पर एक जुलाई से 20 प्रतिशत टीसीएस की व्यवस्था लागू होने जा रही है. तौर पर टीसीएस किसी विक्रेता की तरफ से सामान या सेवा की बिक्री के समय वसूला जाने वाला कर होता है. जबिक टीडीएस सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला कर है.
7 लाख रुपये तक का लेनदेन नहीं आएगा टैक्स दायरे में।
₹7 लाख तक का लेनदेन मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईओ) अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि सरकार ने सात लाख ने रुपये तक के लेनदेन को टीसीएस से बाहर रखा है जिससे छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी. इसका मतलब है कि ज्यादातर लेनदेन 20 प्रतिशत टीसीएस के दायरे में नहीं आएंगे.
नागेश्वरन ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा, ‘सरकार आपके टीडीएस को टीसीएस से इस तरह जोड़ने की कोशिश में है कि अगर आपने टीसीएस दिया है तो वह कम टीडीएस के रूप में नजर आए.