लोन किस्त भुगतान में देरी पर लगने वाले जुर्माने में जल्द ही राहत मिलने वाली है। आरबीआइ का कहना है कि लोन किस्त के भुगतान में देरी पर लगने वाले जुर्माने का बैंकों को अलग से विवरण देना होगा। किस्त भुगतान में देरी पर जो जुर्माना वसूला जाएगा, वह बिल्कुल अलग होगा पारदर्शी तरीके से यह जुर्माना लिया जाएगा। अभी लोन किस्त के भुगतान में देरी पर पैनल इंटरेस्ट के आधार पर जुर्माना वसूला जाता है, जो लोन की मूल राशि में जोड़ दिया जाता है। सभी बैंकों का अलग-अलग पैनल इंटरेस्ट होता है और ग्राहकों को साफ तौर पर पता नहीं चलता है कि उन्हें लोन किस्त के भुगतान में देरी पर कितना जुर्माना देना होगा।
RBI जारी कर रहा हैं नया गाइडलाइन
गत आठ फरवरी को आरबीआइ की मौद्रिक समीक्षा की बैठक के बाद यह एलान किया गया था कि जल्द ही इस संबंध में ड्राफ्ट गाइडलाइंस को जारी किया जाएगा और उस पर सभी हितधारकों से प्रतिक्रिया ली जाएगी। आरबीआइ की तरफ से कहा गया है। कि कोई भी जुर्माना पैनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं वसूला जाएगा। वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक बैंक अलग से जुर्माने की राशि निर्धारित करेंगे। वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक अभी पैनल ब्याज लोन के आकार और प्रकार पर निर्भर करता है। लोन भुगतान के दौरान पैनल इंटरेस्ट को लेकर ग्राहक और बैंकों के बीच करार होता है और पैनल इंटरेस्ट की गणना सालाना तौर पर की जाती है।
अभी 24% तक का लग जाता हैं जुर्माना
जानकारों के मुताबिक मान लीजिए पैनल इंटरेस्ट 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष है और अगर 50000 रुपये की मासिक किस्त का भुगतान नहीं हो पाया तो इस हिसाब से एक माह का जुर्माना दो प्रतिशत होगा और 50000 रुपये के हिसाब से जुर्माना 1000 रुपये का होगा। अब बैंकों को अलग से जुर्माना निर्धारित करना होगा।
कर्ज लेने वालों को रिकवरी एजेंटों की देंगे जानकारी :
आरबीआइ ने डिजिटल रूप से कर्ज देने वाली इकाइयों से कहा है कि वे कर्ज लेने वालों को डिफाल्ट के मामले में संपर्क करने के लिए अधिकृत सूचीबद्ध एजेंटों के नाम की जानकारी दें। आरबीआई ने कहा है कि यदि कोई ग्राहक कर्ज के भुगतान में डिफाल्ट हो जाता है और मामला रिकवरी एजेट को सौंप दिया जाता है तो वसूली की प्रक्रिया शुरू करने से पहले रिकवरी एजेंट की जानकारी ग्राहक को ई-मेल या एसएमएस से उपलब्ध कराई जाए। आरबीआई ने डिजिटल कर्ज वितरण से जुड़े नियमों को सख्त बनाया है।