विदेश जाकर भीख मांगने और देश की छवि खराब करने वाले पाकिस्तानियों के खिलाफ अब पाकिस्तान सरकार ने ‘आर-पार’ के मूड में कार्रवाई शुरू कर दी है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे खाड़ी देशों से हजारों की संख्या में पाकिस्तानियों को भीख मांगने के आरोप में डिपोर्ट (निष्कासित) किया गया है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने साफ कर दिया है कि ऐसे लोगों को सिर्फ वापस नहीं लाया जाएगा, बल्कि उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी होगी।

चौंकाने वाले हैं आंकड़े
नेशनल असेंबली की स्टैंडिंग कमेटी में फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) द्वारा पेश किए गए आंकड़े हैरान करने वाले हैं। अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ इसी साल:
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सऊदी अरब: करीब 24,000 पाकिस्तानियों को भीख मांगने के आरोप में डिपोर्ट किया गया।
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संयुक्त अरब अमीरात (UAE): यहाँ से 6,000 पाकिस्तानियों को वापस भेजा गया।
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अज़रबैजान: यहाँ से भी 2,500 भिखारियों को डिपोर्ट किया गया है।
उमराह और विजिट वीज़ा का हो रहा गलत इस्तेमाल
जांच में यह बात सामने आई है कि कई पाकिस्तानी नागरिक पवित्र धार्मिक यात्रा ‘उमराह’ या टूरिस्ट वीज़ा की आड़ में खाड़ी देशों और यूरोप जाने की कोशिश करते हैं।
गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने बीबीसी को बताया कि कई बार पूरा का पूरा परिवार उमराह वीज़ा पर सऊदी अरब जाता है और वहां जाकर भीख मांगना शुरू कर देता है। यह पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद शर्मिंदगी का कारण बन रहा है।
अब होगी सख्त कार्रवाई: पासपोर्ट होगा ब्लॉक
सरकार अब ऐसे लोगों पर लगाम कसने के लिए कड़े कानून ला रही है:
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यात्रा प्रतिबंध: भीख मांगने के आरोप में डिपोर्ट हुए लोगों पर लंबा ट्रैवल बैन लगेगा।
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पासपोर्ट कंट्रोल लिस्ट: ऐसे लोगों के पासपोर्ट 5 साल या उससे अधिक समय के लिए ब्लॉक किए जा रहे हैं।
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आपराधिक मुकदमे: वतन वापसी पर इन लोगों को जेल और मुकदमों का सामना करना पड़ेगा।
एयरपोर्ट पर सख्ती और ‘ऑफलोडिंग’
FIA के महानिदेशक रिफत मुख्तार ने बताया कि पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। इस साल करीब 66,000 यात्रियों को ऑफलोड किया गया (विमान से उतारा गया) क्योंकि उनके पास यात्रा के पर्याप्त कारण या दस्तावेज नहीं थे।
इनमें से कई लोग एजेंटों के जरिए गलत जानकारी देकर या अवैध तरीके से (डंकी रूट) यूरोप जाने की फिराक में थे।
सरकार का दावा: अधिकारियों का कहना है कि इन सख्त कदमों और ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के कारण पाकिस्तान के पासपोर्ट की रैंकिंग में सुधार आया है और यह 118 से सुधरकर 92वें नंबर पर आ गई है।
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