बदलता मौसम ना सिर्फ इंसानों के लिए, बल्कि पालतू कुत्तों (Pet Dog) के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन होता है, डॉग्स में होने वाली बीमारियों के पनपने का खतरा भी बढ़ जाता है.
ऐसे में अपने पालतू डॉग को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. कई बार पालतू पपी में होने वाली बीमारियों का खतरा इंसानों में भी बढ़ जाता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि पेट डॉग का भी वैक्सीनेशन कराया जाए.
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज कन्नौज के रैबीज वैक्सीनेशन नोडल डॉ. अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक, नॉर्मली जैसे ही आप पपी लाते हैं, वैसे ही उसका वैक्सीनेशन शुरू हो जाना चाहिए. पपी वैक्सीनेशन की पूरी चैन 6-8 हफ्ते की उम्र से शुरू होती है और इसे 12-16 महीने की उम्र के भीतर ही पूरा किया जाना चाहिए. आमतौर पर इसके बाद ही बूस्टर खुराक शुरू होती है, उनमें से ज्यादातर साल में एक बार. आइए जानते हैं पालतू डॉग को टीका लगवाने से जुड़ी कई और जानकारी.
वैक्सीन कैसे करती है काम
डॉ. अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक, पालतू डॉग को लगने वाली वैक्सीन का मुख्य उद्देश्य रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को बढ़ाना है, ताकि ये एंटीजन को पहचान सके. ऐसे में यदि, कोई पपी या डॉग असल में बीमारी के संपर्क में आता है, तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेगा. इसके बाद वह बीमारी से लड़ने के लिए तैयार रहेगा. साथ ही बीमारी के प्रभाव को कम देगा. समय पर वैक्सीनेशन होने से ना ही आपके पपी में बीमारियां होंगी और आप भी सेफ बने रहेंगे.
कोर डॉग वैक्सीनेशन?
कोर पपी वैक्सीनेशन और डॉग वैक्सीनेशन को बीमारी की गंभीरता, वायरस के डॉग्स के साथ-साथ अन्य जानवरों और इंसानों में फैलने के रिस्क के आधार पर सभी डॉग्स के लिए जरूरी माना गया है. इसलिए अपने पालतू डॉगी को कोर वैक्सीन दिलाना बेहद जरूरी है. इसके लिए कैनाइन परवोवायरस, कैनिन डिस्टेम्पर, हेपेटाइटिस, रेबीज और लेप्टोस्पाइरोसिस वैक्सीन दिए जाते हैं.
नॉन कोर वैक्सीन
- बोर्डेटेला
- कैनाइन इन्फ्लुएंजा (डॉग फ्लू)
- लाइम वैक्सीन
वैक्सीनेशन शेड्यूल
- 6-7 हफ्ते: डीएचपीपी, बोर्डेटेला
- 9-10 हफ्ते: डीएचपीपी, बोर्डेटेला, लेप्टोस्पायरोसिस
- 12-13 हफ्ते: डीएचपीपी, लेप्टोस्पायरोसिस, कैनाइन इन्फ्लुएंजा, लाइम रोग
- 15-17 हफ्ते: डीएचपीपी, रेबीज, कैनाइन इन्फ्लुएंजा, लाइम रोग