PM Modi Nobel Prize Fake Story. सोशल मीडिया में फेसबुक हो या टि्वटर यहां तक कि बड़े मीडिया पोर्टल के माध्यम से आप तक यह ढोल जरूर सुनाई दे दिया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है और वह इसके सबसे बड़े दावेदार हैं. लेकिन आपको बताते चलें कि यह पूरा वाक्य फर्जी है और इसमें किसी भी प्रकार का सत्य का समावेश नहीं है.
पीएम नरेंद्र मोदी के इस साल नोबेल पुरस्कार के प्रबल दावेदार होने की अफवाहों पर प्रतिक्रिया देते हुए नॉर्वेजियन नोबेल समिति के उप नेता असले तोजे ने कहा कि ‘यह पूरी तरह से फर्जी है।’
Why has @ANI not tweeted this statement by Asle Toje? 🤔 pic.twitter.com/C3c6pUBdeI
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) March 16, 2023
बड़ी मीडिया चैनल में इसे बड़े दावे के साथ यहां तक कहा जाने लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करवा दिया है और वह देश के ही नहीं बल्कि विश्व के लिए शांतिदूत है.
बहुत समय से टीआरपी के लिए अच्छे कहानी और शीर्षक नही मिलने के कारण गर्त में जा रहे टेलीविजन चैनल को एक जबरदस्त, उत्साहवर्धक कहानी मिल गई और उन टेलीविजन चैनलों ने अपने एपिसोड के साथ-साथ अपने वेब पत्रकारिता में भी पोस्टर लगवा कर इस फर्जी खबर को खूब बढ़ाया.
बिना सत्यता की जांच किए हुए ऐसे लोग देश में बेवजह कुछ भी माहौल बनाते हैं और फिर बातें झूठी हो साबित होने के उपरांत यह कहते हैं कि भले प्रधानमंत्री को नोबेल नहीं मिले लेकिन प्रधानमंत्री नोबेल पुरस्कार से ऊपर की चीजें हैं और अंततः जिस चीज के लिए यह फर्जी खबर बनाई गई थी वैसा मामला पूरे देश भर में स्थित कर दिया जाता है.
पॉलिटिक्स में आईटी सेल के स्थापना होने के साथ ही अब यह किस्सा आम हो चला है. अब लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है और चाहे पार्टी कोई भी हो उनके द्वारा या उनके ऊपर लगाए गए आरोप या वाहवाही को खुद जांचने की आवश्यकता है.