देश में सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर हो हल्ला मास्टर रहता है लेकिन या हो हल्ला तब ज्यादा बड़ा हो गया जब कुछ न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले लोगों ने पोस्ट ऑफिस बैंक को भी प्राइवेट बैंक बनाने के फैसले को लेकर हेड लाइन बनाना शुरु कर दिया.
पोस्ट ऑफिस बैंक सरकार का एक सरकारी बैंक है. यह बैंक केवल लोगों का बैंक की नहीं बल्कि भरोसा भी है जिसमें दूरदराज इलाके के लोग अपना पैसा जमा करते हैं और इस सुकून के साथ रहते हैं कि सरकार के तरफ से मिलने वाले सारे स्कीम के लाभ यथावत मिलेंगे और समय पर पैसा आसानी से मिलेगा.
पोस्ट ऑफिस बैंक के निजीकरण को लेकर अब सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
सरकार ने पोस्ट ऑफिस बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव पर बात करते हुए बताया कि डाकघरों के निजीकरण को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है. हालांकि इस को लेकर कई कर्मचारी संघ भ्रामक और गलत जानकारी बाहर किए हुए हैं जिसके वजह से कई न्यूज़ पोर्टल ने इसे भ्रामक हेड लाइन के साथ प्रकाशित किया है.
सरकार ने बुधवार को अपने जानकारी में बताया है कि पोस्ट ऑफिस बैंक यथावत सरकारी उपक्रम के तौर पर काम करता रहेगा और इसके निजी करण को लेकर वर्तमान और भविष्य में किसी भी प्रकार की स्थितियां नहीं है.