पंजाब सरकार के एक बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंजूरी दे दी है. जिसके बाद यह कानून बन गया है. इस नए कानून के तहत राज्य के 11,200 से ज्यादा लोगों को संपित्त का हक मिल गया है. पंजाब में भोंदेदार, बुटेमार, दोहलीदार, इंसार मियादी, मुकर्ररिदार, मुंधिमार, पनाही कदीम, सौंजीदार, तारदकार समुदायों को संपित्त अधिकार मिल गया है.

सरकारी ज़मीन पर थे बहुत पहले से काबिज

इन वर्गों के लोग कई पीढ़ियों से राज्य की करीब चार हजार एकड़ जमीन पर काबिज थे. अब उचित मुआवजे के भुगतान के बाद इन लोगों को जमीन का मालिकाना हक दे दिया जाएगा. इस बिल को साल 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में पंजाब विधानसभा में पास कराया गया था. अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी इस बिल को मंजूरी दे दी थी तो उसे राष्ट्रपति के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा था. जहां से अब मंजूरी मिल गई है.

आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर बनेंगे काश्तकार सशक्त :

कहा जा रहा है कि कानून ऐसी भूमि जोतने वालों को सशक्त करेगा, जो समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के हैं. ये काश्तकार कई वर्षों से जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर काबिज हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उत्तराधिकारी के तौर पर अपने अधिकार प्राप्त करते हैं. चूंकि वे पंजीकृत मलिक नहीं थे, इसिलए न तो वे वित्तीय संस्थानों से ऋण ले सकते थे और न ही किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में उन्हें राहत मिलती थी, लेकिन अब उन्हें अन्य भूस्वामियों की तरह सभी लाभ मिलेंगे.

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