क़तर सरकार ने रविवार को ईरानी मिसाइलों की इंटरसेप्शन के कारण हुए नुकसान की जांच और प्रभावितों को मुआवज़ा देने के लिए आपातकालीन कदमों की घोषणा की। यह मिसाइलें पिछले महीने क़तर की सीमा में रोकी गई थीं।
यह कदम क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल सानी के निर्देश पर उठाया गया है। यह दुर्लभ मिसाइल घटना क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा का कारण बनी थी। क़तर के गृह मंत्री शेख खलीफा बिन हमद बिन खलीफा अल सानी ने सिविल डिफेंस काउंसिल की एक विशेष आपात बैठक की अध्यक्षता की।
इस बैठक में आंतरिक सुरक्षा बल (Lekhwiya) के कमांडर और काउंसिल के अध्यक्ष भी शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य था 23 जून को हुई ईरानी मिसाइल इंटरसेप्शन की घटना के प्रभावों की समीक्षा करना और उससे जुड़े नुकसान व मुआवज़े की प्रक्रिया पर निर्णय लेना। बैठक में तत्काल प्रतिक्रिया उपायों पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि प्रभावित नागरिकों और प्रवासियों को मुआवज़ा प्रदान करने के लिए एक कार्यकारी तंत्र (Executive Mechanism) को सक्रिय किया जाएगा।
क़तर न्यूज एजेंसी (QNA) के अनुसार, सिविल डिफेंस काउंसिल ने घटना के तुरंत बाद उठाए गए आपात कदमों की समीक्षा की और एक कार्यान्वयन रूपरेखा (implementation framework) को मंज़ूरी दी, जिससे प्रभावित लोगों तक जल्दी राहत पहुंचाई जा सके।
अब लागू की गई यह योजना नुकसान के आकलन की प्रक्रिया को आसान बनाएगी और मिसाइल इंटरसेप्शन से प्रभावित नागरिकों और प्रवासियों को राहत प्रदान करेगी। क़तर की वायु रक्षा प्रणाली ने ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) द्वारा छोड़ी गई मिसाइलों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया। यह मिसाइलें क्षेत्रीय तनाव के बीच छोड़ी गई थीं।
क़तर के विदेश मंत्रालय ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे क़तर की संप्रभुता और वायु क्षेत्र का स्पष्ट उल्लंघन तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। सूत्रों के अनुसार, मिसाइलों का निशाना अल-उदईद एयर बेस था — जो एक प्रमुख सैन्य ठिकाना है जहां अमेरिकी और गठबंधन सेनाएं तैनात हैं।




