भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस वर्ष, महंगाई को काबू करने और असुरक्षित कर्ज के जोखिम को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। विशेष रूप से, ‘एवरग्रिनिंग’ यानी नए कर्ज से पुराने कर्ज चुकाने पर रोक लगाई गई। इसके साथ ही, बैंकों में ग्राहक सेवा को भी बेहतर बनाने की पहल की गई।
🔍 नीतिगत दरों में परिवर्तन की संभावना:
आने वाले साल में, सभी की नजरें रेपो दर में कटौती पर टिकी हुई हैं। RBI द्वारा लगातार पांच मौद्रिक समीक्षाओं में नीतिगत दरों को स्थिर रखा गया है, बावजूद इसके महंगाई में मामूली कमी आई है। RBI का लक्ष्य खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बनाए रखना है।
RBI Report – बैंक फ्रॉड में वृद्धि:
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में बैंक फ्रॉड के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं, जिसमें सबसे अधिक प्राइवेट बैंकों के ग्राहक प्रभावित हुए हैं।
🎯 मुद्रास्फीति लक्ष्य:
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर स्थिर रखने की बात कही है। नवंबर में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.55 प्रतिशत हो गई, लेकिन उनका कहना है कि जब तक मुद्रास्फीति चार प्रतिशत या उससे नीचे नहीं आती, तब तक नीतिगत दरों में कमी पर विचार नहीं किया जाएगा।
🔎 जोखिमों पर नजर:
RBI ने वित्तीय प्रणाली में उपस्थित जोखिमों को भी चिह्नित किया है और इसके समाधान के लिए बैंकों के साथ बैठकें शुरू की हैं। इसके अलावा, बैंकों और NBFCs को असुरक्षित कर्जों से संबंधित नियमों को सख्त करने की भी सलाह दी गई है।
📊 महत्वपूर्ण जानकारी एक नज़र में:
- खुदरा मुद्रास्फीति लक्ष्य: 4%
- वर्तमान मुद्रास्फीति दर (नवंबर): 5.55%
- बैंक फ्रॉड में वृद्धि (पिछले 6 महीने): 3 गुना
- प्रभावित ग्राहक (सबसे अधिक): प्राइवेट बैंक
- नीतिगत दर रेपो (वर्तमान): स्थिर