भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी को रोकने और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। अब अगर कोई बैंक खाता धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो बैंकों को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
बैंकों को क्या करना होगा?
सीबीआई और राज्य पुलिस की सूचना:
- यदि बैंकों के पास 6 करोड़ रुपये से ज्यादा के धोखाधड़ी के मामले आते हैं तो पहले इसकी सूचना सीबीआई को देनी होगी।
- इससे कम राशि वाले धोखाधड़ी के मामलों में राज्य पुलिस को सूचना देनी होगी।
रिस्पॉन्स कमिटी का गठन:
- धोखाधड़ी से निपटने के लिए बैंकों को एक समिति का गठन करना होगा।
- धोखाधड़ी से जुड़े बैंक खातों को लाल झंडी से चिह्नित करना होगा।
- ऐसे खातों की जानकारी आरबीआई को सात दिन के भीतर देनी होगी।
संदिग्ध खातों पर नजर
संदिग्ध खातों की मॉनिटरिंग के लिए बैंकिंग सिस्टम शुरुआती चेतावनी जारी करेगा और उस खाते को लाल flag से चिह्नित किया जाएगा। इससे अनाधिकृत या बिना केवाईसी वाले खातों की ट्रैकिंग आसान हो जाएगी और ऐसे खातों पर प्रतिबंध लग जाएगा। flag वाले खातों पर बैंक लोन भी जारी नहीं कर पाएंगे।
ये मामले धोखाधड़ी में आएंगे
- बैंकों के धन का दुरुपयोग और विश्वास का आपराधिक उल्लंघन।
- जाली उपकरणों के माध्यम से नकदी की निकासी।
- तथ्यों को छिपाकर किसी व्यक्ति के साथ ठगी करना।
- गलत दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाकर की गई जालसाजी।
- विदेशी मुद्रा से जुड़े धोखाधड़ी वाले लेनदेन।
- धोखाधड़ीपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग / डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन।
आरबीआई का सर्कुलर और बैंकिंग प्रणाली
आरबीआई का नया सर्कुलर सभी बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अन्य वित्तीय संस्थानों पर लागू होगा। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे को और मजबूत करना है। बैंक प्रबंधन की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां तय करने के लिए बोर्ड से मंजूर पॉलिसी की आवश्यकता अनिवार्य कर दी गई है। हर एक बैंक विशेष समिति बनाएगा, जिसका प्रमुख कार्य बैंक में होने वाले धोखाधड़ी के मामलों पर निगरानी रखना होगा।