रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने दिल्ली के आवास क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। कालोनी का आकार या प्रकार चाहे जो भी हो, प्लाट के प्रत्येक फ्लोर पर बनने वाले आवासीय यूनिटों की संख्या पर कड़ी सीमा लगाई गई है। इस कदम का उद्देश्य भवनों की संख्या को विनियमित करना और संतुलित शहरी विकास सुनिश्चित करना है।
संपत्ति पंजीकरण पर प्रभाव
रेरा के निर्देश के बाद, दिल्ली में संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया ठप हो गई है। रेरा के नए आदेश में, सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2008 के आदेश के अनुसार, 50 वर्ग मीटर से लेकर 3750 वर्ग मीटर से अधिक आकार के प्लाटों पर बनाई जा सकने वाली अधिकतम आवासीय यूनिटों की संख्या निर्धारित की गई है।
इस कंस्ट्रक्शन पर रोक
रेरा ने दिल्ली कैंट बोर्ड, नगर निगम दिल्ली (एमसीडी), और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को भी संपर्क किया है, उन्हें नए आदेश के अनुसार ही भवन योजनाएं जारी करने के निर्देश दिए हैं। इस पर जोर दिया गया है कि अत्यधिक आवासीय यूनिटों के कारण नागरिक संरचना पर अधिक बोझ न पड़े। उदाहरण के लिए, 50 वर्ग मीटर के प्लाट पर अब चार मंजिला मकान नहीं बन सकेगा। इस आकार के प्लाट पर केवल तीन मंजिलें ही बनेंगी और प्रत्येक मंजिल पर केवल एक ही कमरा होगा।
आवासीय इकाइयों की चेकिंग और पंजीकरण
रेरा ने सभी सब-रजिस्ट्रारों को पत्र लिखा है कि 15 सितंबर के बाद किसी भी संपत्ति का पंजीकरण नए आदेश के अनुसार ही आवासीय इकाइयों की जांच करके किया जाए। अगर प्लाट के आकार से अधिक आवासीय इकाइयां हैं, तो ऐसी संपत्ति का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण जानकारी एक नज़र में
प्लाट साइज (वर्ग मीटर) | अधिकतम आवासीय यूनिट |
---|---|
50 तक | 3 |
51-100 | 4 |
101-250 | 5 |
251-750 | 7 |
751-1000 | 7 |
1001-1500 | 10 |
1501-2250 | 10 |
2251-3000 | 10 |
रेरा के इस नए नियम से दिल्ली में आवासीय भवनों की निर्माण और पंजीकरण प्रक्रिया में बड़े बदलाव होंगे, जिससे शहरी विकास और संरचना में संतुलन बना रहेगा।