सऊदी अरब ने एक बड़ा कदम उठाते हुए नॉन-सऊदी और नॉन-रेज़िडेंट विदेशियों को डिजिटल आईडी सिस्टम के जरिए देश में प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति दे दी है। यह फैसला पिछले हफ्ते कैबिनेट की मंजूरी के बाद लिया गया।
इस उपाय के तहत जनरल रियल एस्टेट अथॉरिटी, आंतरिक मंत्रालय, सऊदी डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अथॉरिटी, नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर और अन्य एजेंसियों के सहयोग से डिजिटल आईडी को सक्रिय करने की व्यवस्था करेगी। यह कदम नॉन-सऊदी रियल एस्टेट ओनरशिप लॉ के लागू होने से पहले उठाया गया है।
कैबिनेट ने नॉन-सऊदी प्रॉपर्टी ओनरशिप और यूज़फ्रक्ट (उपभोग) अधिकारों के लिए गवर्नेंस फ्रेमवर्क को भी मंजूरी दी है, जिसकी सिफारिश काउंसिल ऑफ़ इकोनॉमिक एंड डेवलपमेंट अफेयर्स की स्ट्रैटेजिक कमेटी ने की थी। इसके तहत एक स्पेशल कमेटी का गठन किया जाएगा, जो रियल एस्टेट सेक्टर की निगरानी करेगी।
इन बदलावों के हिस्से के रूप में जनरल रियल एस्टेट अथॉरिटी के बोर्ड का पुनर्गठन भी किया गया है। अब इसके सीईओ बोर्ड के चेयरमैन के रूप में कार्य करेंगे। बोर्ड में कई मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ निजी क्षेत्र से तीन सदस्य भी शामिल होंगे। नया ओनरशिप कानून, जिसे जुलाई में मंजूरी दी गई थी, जनवरी 2026 से लागू होगा।
पिछले महीने अथॉरिटी ने ड्राफ्ट नियम जारी किए थे, जिनके तहत नॉन-रेज़िडेंट विदेशियों को प्रॉपर्टी खरीदने या उपयोग करने से पहले सरकार के Absher प्लेटफॉर्म से डिजिटल आईडी बनानी और सक्रिय करनी होगी। इसके अलावा उन्हें सऊदी बैंक अकाउंट खोलना और स्थानीय मोबाइल नंबर भी लेना अनिवार्य होगा।
इस कदम का उद्देश्य लेन-देन को आसान बनाना, नियामक ढांचे को मज़बूत करना और सऊदी अरब के रियल एस्टेट बाज़ार में विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।




