भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को मशहूर स्टॉकब्रोकर केतन पारेख और उनसे जुड़े दो अन्य लोगों पर बड़ा एक्शन लिया है। इन तीनों को तत्काल प्रभाव से शेयर बाज़ार में किसी भी तरह का कारोबार करने से रोक दिया गया है। आरोप है कि इन लोगों ने कथित तौर पर ‘फ्रंट-रनिंग’ के ज़रिए 65.77 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफ़ा कमाया। यह मामला देश के पूँजी बाज़ार में एक बार फिर हलचल मचा रहा है, क्योंकि केतन पारेख पहले भी शेयर बाज़ार से जुड़े विवादों में सुर्खियाँ बटोर चुके हैं।
क्या है ‘फ्रंट-रनिंग’ स्कीम?
फ्रंट-रनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी कंपनी की गोपनीय या अप्रमाणित संवेदनशील जानकारी का फ़ायदा उठाकर उसके शेयरों में ख़रीद-बिक्री की जाती है। जैसे ही कंपनी के शेयरों को लेकर बाज़ार में कोई अहम जानकारी आने वाली होती है, उससे पहले ही फ्रंट-रनर अपने लिए सौदों को सेट कर लेता है, ताकि जानकारी सार्वजनिक होते ही उसे फायदा मिल सके। सेबी का मानना है कि केतन पारेख और उनके साथियों ने भी यही तरीका अपनाते हुए ख़ुद के लिए गैरकानूनी फ़ायदा हासिल किया।
65.77 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कैसे?
सेबी की प्राथमिक जांच में पता चला कि पारेख और उनके दो सहयोगियों ने 22 इकाइयों (संभावना है कि ये फर्जी अकाउंट या संस्थाएँ हों) के ज़रिए शेयर बाज़ार में बड़ी ख़रीद-फ़रोख़्त की। इन सौदों से उन्होंने संयुक्त रूप से 65.77 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया। इतना ही नहीं, सेबी ने आरोप लगाया है कि ये लोग अलग-अलग तरीक़ों से शेयरों की कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही, अपनी पहचान छिपाने के लिए इन्होंने कई निवेश खातों और संस्थाओं के नाम का इस्तेमाल किया।
सेबी का रुख कड़ा, नोटिस जारी
सेबी ने पारेख, रोहित सालानियांक और अशोक कुमार चौधरी के खिलाफ नोटिस जारी किया है। आरोप है कि ये तीनों अवैध तरीके से ‘फ्रंट-रनिंग’ में शामिल थे और उनकी गतिविधियाँ बाजार की पारदर्शिता को नुक़सान पहुँचा रही थीं। नियामकीय संस्था ने साफ़ शब्दों में कहा कि इन व्यक्तियों के बिज़नेस करने पर रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया गया है, ताकि वे आगे भी इस तरह की गतिविधि न कर पाएं। सेबी ने यह भी साफ कर दिया कि अगर इन तीनों के पास कोई ठोस जवाब या सफ़ाई है, तो वे नियत प्रक्रिया के तहत अपना पक्ष रख सकते हैं।