सब्जियों की बाढ़ोतरी के बाद अब मसालों की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं। पिछले कुछ महीनों में जीरे की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। सभी प्रमुख मसालों की कीमतों में तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है।
अनियमित मौसम और गिरते उत्पादन के कारण, मसाले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस साल जीरा की खुदरा कीमतें सालाना आधार पर लगभग 75% बढ़ गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में राहत अगले कैलेंडर वर्ष तक मिलने की संभावना है।
मसालों की उत्पादन और सप्लाई में गिरावट की वजह से उनकी कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कारण हल्दी, धनिया और सूखी मिर्च जैसी कई फसलों की बुआई में भारी गिरावट देखी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीरे के उत्पादन को लेकर अगले सीजन में भी चिंताएं हैं। इस साल जून में चक्रवात बिपरजॉय के कारण गुजरात और राजस्थान में बहुत बारिश और तूफान से जीरा की फसल को नुकसान हुआ।
संभावित लाभ
- मसालों की उच्च कीमतों से किसानों को अधिक लाभ हो सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।
- उच्च कीमतों के कारण, किसानों को नई और बेहतर खेती की तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा मिल सकती है.
अगर मसालों की कीमतों में वृद्धि हो रही है, तो उत्पादकों और बिक्रेताओं के लिए इसका लाभ होगा, इन्हें अच्छी कीमत मिलेगी. हालांकि, इसका नकारात्मक प्रभाव उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. इसके अलावा, मसालों की मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मसालों के उत्पादन में गिरावट और महंगाई के कारण इनके आयात में वृद्धि हो सकती है. जो भारत के लिए व्यापार घाटा बढ़ा सकता है.
महत्वपूर्ण जानकारी
सूचना | आंकड़े |
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जीरा की खुदरा कीमत (वर्षांत समाप्ति, पिछले महीने) | 75% वृद्धि |
जीरा उत्पादन (2019-20) | 9.12 लाख टन |
जीरा उत्पादन (2020-21) | 7.95 लाख टन |
जीरा उत्पादन (2021-22) | 7.25 लाख टन |
जीरा की कीमत (जून 2023) | ₹ 50,000/क्विंटल |
जीरा की कीमत (जुलाई 2023) | ₹ 60,000/क्विंटल |
गुजरात का जीरा उत्पादन में योगदान | 55.8% |
राजस्थान का जीरा उत्पादन में योगदान | 43.9% |