मुंबई में आयकर अपीलीय आयुक्त (CIT-A) की बेंच ने 27 फरवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि सेक्शन 87A के तहत कर छूट (tax rebate) विशेष दर आय (Special Rate Income) जैसे कि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर भी लागू होती है। इस निर्णय के तहत, अपीलीय आयुक्त ने असेसिंग अधिकारी (AO) को निर्देश दिया कि वे इस छूट को मंजूरी दें और संबंधित करदाता को लाभ दें।
क्या है मामला?
5 जुलाई 2024 के बाद, आयकर विभाग ने अपने ऑनलाइन ITR दाखिल करने के सॉफ्टवेयर में सेक्शन 87A की कर छूट का विकल्प STCG जैसी विशेष दर आय के लिए अक्षम (disable) कर दिया था। यानी, जो करदाता STCG पर सेक्शन 87A के तहत छूट का दावा कर रहे थे, उन्हें बाद में विभाग द्वारा कर मांग नोटिस (Tax Demand Notice) भेज दिया गया।
अब, ऐसे करदाताओं के पास दो ही विकल्प थे –
- कर विभाग की मांग मान लें और अतिरिक्त कर चुका दें, या
- इसके खिलाफ अपील करें और कानूनी लड़ाई लड़ें।
इसी तरह, एक करदाता ने इस मामले को अदालत में ले जाकर लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत दर्ज की।
पहले भी मिल चुके हैं ऐसे फैसले
मुंबई के अलावा गुजरात और दिल्ली में भी आयकर अपीलीय आयुक्त (CIT-A) ने ऐसे ही मामलों में करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। गुजरात के एक मामले में तो AO ने पहले ही आदेश जारी कर दिया था और कर छूट को मान्यता दी थी। दिल्ली का मामला भी अभी प्रक्रिया में है, और उम्मीद है कि वहां भी करदाताओं को राहत मिलेगी।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हालांकि, जब चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स (CTC) ने इस मामले को बॉम्बे हाई कोर्ट में उठाया, तो अदालत ने 87A छूट को STCG आय पर लागू किया जाए या नहीं, इस पर सीधा फैसला देने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि हर मामले की सुनवाई अलग से की जाएगी, लेकिन उन्होंने इस बात की आलोचना की कि कर अधिकारियों ने 5 जुलाई 2024 के बाद 87A छूट के दावे को तकनीकी रूप से बंद करने का एकतरफा निर्णय लिया था।
कैसे हुई करदाता की जीत?
आइए जानते हैं कि इस करदाता ने अपने मामले में क्या-क्या तर्क दिए और आखिरकार जीत हासिल की:
1. मामला कैसे शुरू हुआ?
- करदाता ने आकलन वर्ष 2024-25 (AY 2024-25, FY 2023-24) के लिए ITR-3 दाखिल किया।
- नया कर व्यवस्था (New Tax Regime) अपनाते हुए कुल आय ₹5,40,670 घोषित की, जिसमें ₹1,09,842 की STCG आय शामिल थी।
- ITR को 19 सितंबर 2024 को संसाधित किया गया।
- CPC (Centralized Processing Centre) ने ₹16,422 की 87A छूट को अस्वीकार कर दिया और केवल ₹5,917 की छूट को मान्यता दी।
- करदाता ने इसके खिलाफ CIT (A) के समक्ष अपील दायर की, जो फेसलेस असेसमेंट योजना के तहत मुंबई में सुनी गई।
करदाता ने क्या-क्या कानूनी तर्क दिए?
1. सेक्शन 87A को अकेले नहीं पढ़ा जा सकता, इसे सेक्शन 115BAC (1A) के साथ पढ़ना जरूरी है
करदाता ने यह तर्क दिया कि:
- सेक्शन 87A को सेक्शन 115BAC (1A) के साथ पढ़ना जरूरी है, क्योंकि 115BAC एक विशेष कर व्यवस्था (Special Tax Regime) के तहत काम करता है।
- प्रावधानों की गलत व्याख्या करने से करदाताओं पर अनुचित कर भार पड़ेगा, जबकि इसका उद्देश्य कर राहत देना था।
- सेक्शन 87A में “under” शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका कानूनी अर्थ “निर्देशात्मक” या “निर्धारित के अनुसार” होता है। इसका मतलब है कि 87A छूट को पूरी तरह 115BAC (1A) के अनुरूप पढ़ा जाना चाहिए।
2. सेक्शन 115BAC (1A) का संपूर्ण आयकर अधिनियम पर प्रभाव
- सेक्शन 115BAC (1A) में “Non-Obstante Clause” (अधिनियम पर प्राथमिकता देने वाला खंड) है, जिसका मतलब है कि यह अन्य सभी आयकर अधिनियम की धाराओं पर प्रभावी होगा।
- इस सेक्शन में कहा गया है कि कुल आय (Total Income) की गणना सभी विशेष दर आय सहित की जाएगी।
- STCG और LTCG पर विशेष कर दरों को अलग से प्रतिबंधित करने का कोई सीधा उल्लेख नहीं किया गया।
3. केवल एक “कुल आय” होती है, दो नहीं
- आयकर अधिनियम की धारा 2(45) “कुल आय” (Total Income) की परिभाषा देती है, जिसमें सभी पांच प्रकार की आय शामिल होती है – वेतन, मकान संपत्ति, व्यापार, पूंजीगत लाभ, और अन्य स्रोतों से आय।
- यदि सरकार का इरादा STCG और LTCG पर 87A छूट न देने का होता, तो वह इसे स्पष्ट रूप से कानून में लिखती, जैसा कि सेक्शन 112A में LTCG पर किया गया था।
4. सरकार ने कभी भी इस छूट को हटाने की औपचारिक घोषणा नहीं की
- करदाता ने संसद में दिए गए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण 2024 का हवाला दिया, जिसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया कि 87A छूट केवल स्लैब दर वाली आय पर लागू होगी।
- यदि सरकार इस छूट को हटाना चाहती, तो वह बजट या आयकर अधिनियम में स्पष्ट रूप से संशोधन करती।
CIT (A) का फैसला: करदाता की जीत
CIT (A) ने अपने फैसले में कहा:
- कुल आय में STCG और LTCG शामिल होते हैं।
- आयकर अधिनियम में कहीं भी STCG पर 87A छूट को अस्वीकार करने का स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है।
- सेक्शन 87A और 111A को मिलाकर पढ़ने पर करदाता को यह छूट मिलनी चाहिए।
- AO (असेसिंग ऑफिसर) द्वारा छूट न देने का निर्णय गलत था।
- इसलिए, करदाता को पूरी 87A छूट दी जानी चाहिए और AO को आदेश दिया जाता है कि वे इसे लागू करें।
क्या करना चाहिए करदाताओं को?
अगर आपको भी आयकर विभाग ने 87A छूट अस्वीकार कर दी है, तो आप इन कदमों का पालन कर सकते हैं:
- अपील करें: CIT (A) के समक्ष अपील करें, जैसे इस करदाता ने किया।
- सटीक तर्क दें: ऊपर बताए गए कानूनी तर्कों का उपयोग करें।
- चैम्पियन्स के फैसलों का हवाला दें: गुजरात और दिल्ली के फैसलों को उदाहरण के रूप में पेश करें।
- हाई कोर्ट में चुनौती दें: यदि आवश्यक हो, तो उच्च न्यायालय में जाएं।
कर विशेषज्ञों की राय
- सीए मयंक मोहनका: “CIT (A) के कई फैसलों में 87A छूट STCG पर मान्य मानी गई है।”
- सीए शिवम शर्मा: “सभी करदाताओं को अपील प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।”




