26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर हुसैन राणा ने मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को दिए अपने पहले बयान में चौंकाने वाला दावा किया है कि वह न सिर्फ पाकिस्तान सेना का भरोसेमंद एजेंट था, बल्कि उसे एक गुप्त मिशन के तहत सऊदी अरब भी भेजा गया था।
राणा इस समय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में है। उसे अमेरिका से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अप्रैल 2025 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था। पूछताछ के दौरान, राणा ने स्वीकार किया कि वह पाकिस्तान आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में कैप्टन के पद पर कार्यरत रहा है।
संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती
राणा ने यह भी बताया कि उसकी तैनाती पाकिस्तान के सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बालोटरा सेक्टर जैसे रणनीतिक रूप से अहम इलाकों में हुई थी। ये सभी क्षेत्र पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील माने जाते हैं।
अमेरिका में रहने के दौरान गतिविधियां
राणा पर 2008 के मुंबई हमलों में पाकिस्तानी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को समर्थन देने का आरोप है। वह पहले अमेरिका में एक मेडिकल व्यवसायी के रूप में सक्रिय था, जहां उसने हेडली को लॉजिस्टिक सहायता दी थी। अमेरिका में उसे आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी ठहराया गया था।
खाड़ी युद्ध के दौरान सऊदी अरब में था गुप्त मिशन पर: तहव्वुर राणा
जांचकर्ताओं को दिए बयान में तहव्वुर राणा ने खुलासा किया कि 1990–91 के खाड़ी युद्ध के दौरान उसे सऊदी अरब में एक गुप्त मिशन पर भेजा गया था। राणा का दावा है कि यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी सेना उस पर कितना गहरा भरोसा करती थी।
हालांकि, बाद में बीमारी के चलते वह सेना से अलग हो गया और कनाडा प्रवास कर गया। इसके चलते उसे ‘डिज़र्टर’ (सेना से भागा हुआ) घोषित कर दिया गया था। लेकिन भारतीय अधिकारियों का मानना है कि सेना में उसकी गहरी पैठ और संपर्क बाद में आतंकी नेटवर्कों को समर्थन देने में अहम साबित हुए।
अमेरिका में शुरू किया इमीग्रेशन कारोबार, जो बना आतंकी मिशनों की ढाल
कनाडा से अमेरिका पहुंचने के बाद, राणा ने एक इमीग्रेशन सेवा कंपनी शुरू की, जिसे वह कानूनी व्यवसाय की तरह चलाता था। परंतु जांच एजेंसियों के अनुसार, यही कारोबार आतंकी गतिविधियों के लिए पर्दे के पीछे से समर्थन देने का माध्यम बन गया।
भारतीय जांच एजेंसियों का कहना है कि तहव्वुर राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव डेविड हेडली को 2008 के मुंबई हमलों की तैयारी में मदद की। इस दौरान हेडली ने ताज होटल, नरीमन हाउस और अन्य ठिकानों की जासूसी (recce) की, जिसकी योजना में राणा की प्रत्यक्ष भूमिका रही।
संस्थागत समर्थन की परतें उधेड़ सकते हैं राणा के कबूलनामे
तहव्वुर राणा के बयानों को जांच एजेंसियां 26/11 हमलों में संस्थागत समर्थन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी मान रही हैं। इन बयानों से पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान केंद्रित हो सकता है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि राणा की जानकारी से आतंक के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और उसके पीछे की सरकारी मशीनरी का खुलासा संभव है — जो आने वाले समय में भारत की कूटनीतिक कार्रवाई के लिए अहम आधार बन सकता है।




