सरकार द्वारा पेश किए गए ड्राफ्ट डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन नियमों को लेकर टेलीकॉम कंपनियों ने चिंता जताई है। इन नियमों के तहत, इंटरनेशनल कॉल (ILD), व्हाट्सएप मैसेज और ग्लोबल रोमिंग सर्विस जैसी सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
नए नियमों के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों को “सिग्निफिकेंट डेटा फिड्यूशियरी (SDF)” का दर्जा मिल सकता है। इसका मतलब है कि कंपनियां यूजर डेटा को भारत के बाहर ट्रांसफर नहीं कर पाएंगी। इससे अंतरराष्ट्रीय कॉल और डेटा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
महंगे होंगे कॉल और इंटरनेट प्लान?
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि नए नियमों के चलते उनकी कंप्लायंस (अनुपालन) लागत बढ़ जाएगी। इसका मतलब यह है कि कंपनियां इन खर्चों की भरपाई के लिए कॉल और इंटरनेट प्लान की कीमतें बढ़ा सकती हैं।
इसके अलावा, कंपनियों को अब डेटा ब्रीच (डेटा लीक) की जानकारी देने के लिए CERT-In, डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) और दूरसंचार विभाग (DoT) को तुरंत रिपोर्ट करना होगा। इससे कंपनियों पर अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ बढ़ेगा।
डेटा लोकलाइजेशन का झंझट
नियम 12(4) के अनुसार, यदि सरकार का कोई पैनल आदेश दे, तो कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि कुछ खास डेटा और डेटा ट्रैफिक भारत से बाहर न जाए। इंडस लॉ की पार्टनर श्रेया सूरी का कहना है कि यह नियम अंतरराष्ट्रीय कॉल और डेटा सेवाओं के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
डेटा ब्रीच पर तत्काल सूचना का नियम
नियम 7 में कहा गया है कि यदि किसी कंपनी का यूजर डेटा लीक होता है, तो उसे तुरंत ग्राहकों को इसकी जानकारी देनी होगी।
टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि डेटा ब्रीच की तुरंत जानकारी देने से घबराहट फैल सकती है और साइबर अपराधियों को फायदा हो सकता है।
निजता पर खतरा: नियम 22
नियम 22 के तहत सरकार किसी भी कंपनी से यूजर डेटा मांग सकती है, भले ही इसका कोई ठोस कारण न हो।
अभी तक, टेलीकॉम कंपनियां केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में कुछ चुनिंदा सरकारी एजेंसियों को डेटा साझा करती थीं। लेकिन नए नियम के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी को डेटा मांगने का अधिकार मिल सकता है।
कंपनियों का मानना है कि इससे यूजर की निजता (प्राइवेसी) पर खतरा बढ़ सकता है।
क्या कहती हैं टेलीकॉम कंपनियां?
अब तक Airtel, Jio और Vodafone Idea ने इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को इन नियमों में सुधार करना चाहिए ताकि न केवल डेटा सुरक्षा सुनिश्चित हो, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सेवाएं भी सुचारू रूप से चल सकें।