वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार सात टैक्स स्लैब वाली वैकल्पिक आयकर व्यवस्था इसलिए लाई, जिससे निचले आय वर्ग के लोगों को कम टैक्स देना पड़े. सीतारमण ने कहा कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में हर करदाता लगभग 7-10 फीसदी छूट का दावा कर सकता है और आय सीमा के आधार पर इनकम टैक्स की दरें 10, 20 और 30 फीसदी के बीच होती हैं.
मंत्री ने कहा कि पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ ही सरकार एक वैकल्पिक प्रणाली लेकर आई है, जिसमें कोई छूट नहीं है, लेकिन यह सरल है और इसकी कर दरें कम हैं.
कम इनकम वाले लोगों के लिए ज्यादा स्लैब: सीतारमण
सीतारमण ने कहा कि उन्हें सात स्लैब इसलिए बनाने पड़े, जिससे कम आय वर्ग के लोगों के लिए कम दरें हों. वह ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष गौतम चिकरमाने की किताब ‘रिफॉर्म नेशन’ के विमोचन के मौके पर बोल रही थीं.
सरकार ने आम बजट 2020-21 में वैकल्पिक आयकर व्यवस्था शुरू की थी, जिसके तहत व्यक्तियों और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) पर कम रेट के साथ टैक्स लगाया गया. हालांकि, इस व्यवस्था में किराया भत्ता, होम लोन के ब्याज और 80C के तहत निवेश जैसी दूसरी टैक्स छूट नहीं दी जाती है.
इसके तहत 2.5 लाख रुपये तक की कुल आय टैक्स फ्री है.
इसके बाद 2.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की कुल इनकम पर पांच फीसदी,
पांच लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10 फीसदी,
7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी,
10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी,
12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक आय पर 25 फीसदी और
15 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है.
क्या हैं पुरानी व्यवस्था के तहत दरें?
पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत भी 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होती है.
इसके बाद 2.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच की इनकम पर पांच फीसदी टैक्स लगता है.
पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच 20 फीसदी टैक्स लगाया जाता है.
इसके बाद 10 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है.
सीतारमण ने कहा है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था के फायदे को हटाया नहीं गया है, बल्कि नई छूट मुक्त कर व्यवस्था आयकर रिटर्न प्रणाली का एक वैकल्पिक रूप है. मंत्री ने आगे कहा कि उत्पीड़न को खत्म करने के लिए टैक्स विभाग ने आयकर रिटर्न के फेसलेस यानी बिना आमने-सामने आए आकलन की व्यवस्था की है.