मार्च महीना आते ही कंपनियां अपने कर्मचारियों से टैक्स बचाने के लिए किए गए निवेश और खर्चों के सबूत (Investment Proofs) जमा करने को कहने लगती हैं। अगर आप अपनी सैलरी पर पूरा टैक्स कटने से बचना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप समय पर ये सबूत अपने एम्प्लॉयर को जमा कर दें। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो आपकी सैलरी से पूरा टैक्स डिडक्ट कर लिया जाएगा, जिससे आपको ज्यादा TDS देना पड़ेगा।
कौन से कर्मचारियों को निवेश के सबूत जमा करने होते हैं?
चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रकाश हेगड़े के अनुसार, जो कर्मचारी पुराने टैक्स सिस्टम (Old Tax Regime) को चुनते हैं, उन्हें टैक्स बचाने के लिए निवेश और खर्चों के सबूत जमा करने होते हैं। जबकि नए टैक्स सिस्टम (New Tax Regime) में अधिकांश छूटें और कटौतियां उपलब्ध नहीं होतीं, इसलिए नए टैक्स सिस्टम में जाने वाले कर्मचारियों को निवेश का कोई सबूत देने की जरूरत नहीं होती।
कौन-कौन से निवेश और खर्चों के सबूत जमा करने होते हैं?
अगर आपने पुराना टैक्स सिस्टम चुना है, तो निम्नलिखित निवेश और खर्चों के सबूत आपको अपने एम्प्लॉयर को देने होंगे:
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HRA छूट का दावा करने के लिए
- किराए की रसीदें और/या किराए का एग्रीमेंट
- अगर सालाना किराया ₹1 लाख से ज्यादा है, तो मकान मालिक का PAN कार्ड भी देना होगा
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धारा 80C के तहत कटौती का दावा करने के लिए
- PPF, EPF, ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश के सबूत
- जीवन बीमा (LIC) प्रीमियम भुगतान की रसीदें
- बच्चों की स्कूल/कॉलेज फीस की रसीदें
- होम लोन के मूलधन की EMI भुगतान की जानकारी
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स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) प्रीमियम की कटौती (धारा 80D)
- खुद के लिए और माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीदें
- अधिकतम ₹1 लाख तक की कटौती का दावा किया जा सकता है
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होम लोन पर ब्याज की छूट (धारा 24B)
- होम लोन पर भुगतान किए गए ब्याज की जानकारी
- अधिकतम ₹2 लाख तक की कटौती का दावा किया जा सकता है
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NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में अतिरिक्त कटौती (धारा 80CCD(1B))
- NPS में ₹50,000 तक की अतिरिक्त कटौती का दावा किया जा सकता है
हेगड़े बताते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और NPS में एम्प्लॉयर द्वारा किए गए योगदान की जानकारी पहले से ही एम्प्लॉयर के पास होती है, इसलिए इसके लिए कोई अलग से प्रूफ जमा करने की जरूरत नहीं होती।
नए टैक्स सिस्टम में किन कटौतियों की अनुमति है?
नए टैक्स सिस्टम में निवेश के सबूत जमा करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह सिस्टम अधिकतर कटौतियों की अनुमति नहीं देता। हालांकि, दो कटौतियां इसमें मिलती हैं:
- सैलरी/पेंशन पर ₹75,000 तक की स्टैंडर्ड डिडक्शन
- बेसिक सैलरी का 14% तक NPS में एम्प्लॉयर का योगदान
क्या अब भी टैक्स सिस्टम बदला जा सकता है?
अगर आपने पहले से पुराना या नया टैक्स सिस्टम चुना है, तो ज्यादातर कंपनियां इसे वित्तीय वर्ष के बीच में बदलने की अनुमति नहीं देतीं। लेकिन, ITR फाइल करते समय आप इसे बदल सकते हैं।
31 जुलाई 2025 तक ITR फाइल करने की अंतिम तारीख है। अगर आप समय पर ITR फाइल नहीं करते हैं, तो आपको सिर्फ नया टैक्स सिस्टम चुनने का ही विकल्प मिलेगा।
अगर आप निवेश प्रूफ नहीं जमा करते तो क्या होगा?
- अगर आपने पुराना टैक्स सिस्टम चुना है लेकिन निवेश प्रूफ नहीं जमा किया, तो आपकी सैलरी से पूरा टैक्स काट लिया जाएगा।
- फॉर्म 16 में कोई भी छूट या कटौती नहीं दिखेगी, जिससे आपको बाद में टैक्स रिफंड क्लेम करना पड़ेगा।
- HRA और LTA जैसी कटौतियां तभी मिलेंगी, जब इन्हें एम्प्लॉयर के जरिए क्लेम किया जाए।
अगर आप अपनी टैक्स बचत का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं, तो समय पर निवेश और खर्चों के प्रमाण जमा करें ताकि अंतिम समय में ज्यादा TDS न कटे और टैक्स बचत का फायदा मिले