अबू धाबी इंटरनेशनल हंटिंग एंड इक्वेस्ट्रियन एग्ज़िबिशन (ADIHEX) 2025 की ऊंट नीलामी में सोमवार रात एक मादा बछिया ऊंट की कीमत आधा मिलियन दिरहम (लगभग ₹1.13 करोड़) तक पहुंच गई। यह ऊंट ‘शामेख’ पिता और ‘सम्हा अल सगीरा’ मां से जन्मी है। सबसे बड़ी बोली मोहम्मद अल मेन्हाली ने लगाई, जो पहले भी 1.40 लाख और 90,000 दिरहम की नीलामियों में जीत चुके थे। इस नीलामी के दौरान अल मेन्हाली और युवा कवि मुबारक बिन बखीत अल शम्सी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला, जिसमें अंततः 5 लाख दिरहम की बोली पर सौदा तय हुआ।
हालांकि सबसे अधिक ऊंट 14 वर्षीय हमदान अल काबी ने खरीदे, जो अपने चाचा और भाइयों के साथ नीलामी में शामिल हुए थे। उन्होंने कुल चार ऊंट जीते और बताया कि यह उनका चौथा नीलामी अनुभव था। अल काबी परिवार अल ऐन में लगभग 85 ऊंटों का मालिक है और 2016 से रेसिंग और ब्रीडिंग में सक्रिय है। उनका कहना है कि वे खास नस्लों जैसे अल मुन्थर, मज्द और अल गारबी को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि ये अपनी गति और हड्डियों की संरचना के लिए प्रसिद्ध हैं।
हमदान के चाचा हमद अल काबी खुद ऊंटों की ट्रेनिंग की निगरानी करते हैं। उन्होंने बताया कि खरीदे गए ऊंटों को रेस के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और बाद में उनकी बिक्री होती है। परिवार ऊंट के दूध का इस्तेमाल करता है लेकिन उसे बेचने को परंपरा के विरुद्ध मानता है। नीलामी का एक अहम क्षण वह था जब हमदान ने पहले खरीदे गए एक बछड़े को तीन साल तक पालतू की तरह रखा और बाद में रेस जीतने के बाद उसे 20 लाख दिरहम में बेच दिया।
कुल 15 ऊंटों की बिक्री से इस नीलामी में 1.77 मिलियन दिरहम की कमाई हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की नीलामियां न केवल परंपरा को जीवित रखती हैं बल्कि आधुनिक पीढ़ी में ऊंट संस्कृति को बढ़ावा देती हैं।




