बिना पर्याप्त दस्तावेज के आए थे भारत
कुवैत में भारतीय कामगार पर होने वाले अत्याचार की एक कहानी हाल ही में सामने आई थी। 6 फरवरी को कुवैत से मुंबई आई बोट में तीन भारतीय कामगार अपने नियोक्ता से भागकर बिना पर्याप्त दस्तावेज के ही छिपकर भारत आ गए थे। यह तीनों कामगार मछुवारे थे और अपने नियोक्ता के ही बोट में छिपकर भारत आ गए थे।
तीनों पीड़ितों में 29 वर्षीय Vijay Vinod Antony, 29 वर्षीय Sahaya Anthony Anish और 31 वर्षीय Nithish Titto शामिल हैं। पीड़ितों के माता पिता ने बताया कि कुवैत में इनके खिलाफ लगातार हो रहे अत्याचार से तंग आकर इन्होंने चुपके से भागने का फैसला किया था।
माता पिता ने सुनाई पीड़ितों के दर्द की दास्तान
Anish की माता ने दर्द की दास्तान सुनाते हुए बताया कि Anish 9 साल पहले कुवैत गया था। कुवैत ने वह कई बोट पर काम किया करते थे। इन्हीं की कमाई से घर चलता था। एक दिन Anish ने कहा कि फिशिंग के दौरान अगर उनकी मृत्यु हो जाती है तो मुआवजा मिलेगा। तब लगा कि जरूर कोई गंभीर बात है।
वहीं Vijay की माता ने कहा कि जब उनके बेटे ने दूतावास से मदद मांगी तब उसे बहुत मारा पीटा गया। खाना भी बंद कर दिया गया। बगल वाले बोट में जो लोग काम करते थे वह भी कन्याकुमारी के ही थे और वह रहम से कभी कभी खाना भी दे दिया करते थे। लेकिन इस तरह आखिर कब तक चलता।
पासपोर्ट और वीजा भी नियोक्ता ने किया था जब्त
इसके अलावा नियोक्ता ने सबका पासपोर्ट और वीजा भी अपने पास रखा था जिस कारण वह भारत भी लौटने में असमर्थ थे। एक दिन तीनों ने मिलकर प्लान बनाया और नियोक्ता से कहा कि वह सब फिशिंग के लिए जा रहे हैं। फिर बोट को 6,000 litres डीजल से भरा और भारत की तरफ निकल पड़े। इस दौरान वह Saudi Arabia, Qatar, Dubai, Oman और Pakistan की बॉर्डर से दूर रहें। 28 जनवरी को वह कुवैत से रवाना हुए थे और 10 दिन बाद मुंबई लौट आए थे।
यही तीन कामगार नहीं बल्कि कई भारतीय कामगार इसी तरह की स्थिति में फंसे हुए हैं। अपनी रोजी रोटी के लिए मिट्टी छोड़कर विदेश जाने वाले कामगारों की जिंदगी कभी कभी काफी मुश्किल हो जाती है। अभी भी जो भी कामगार कुवैत में फंसे हैं उन्हें बचाने का काम जारी है।