केंद्रीय सरकार ने टोल टैक्स के लिए एक कैटेगरी भी बनाई है। कैटेगरी में शामिल व्यक्ति टोल टैक्स नहीं देंगे। जिन लोगों को हाईवे टोल टैक्स नहीं देना होगा, वे इस कैटेगरी में शामिल हैं।
रांची से धनबाद या बरही जाना हो तो कम से कम दो बार टोल टैक्स भरना होगा। रांची से निकलते समय ओरमांझी में पहला टोल टैक्स देना पड़ता है, हजारीबाग में दूसरा और बरही में तीसरा।
अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से जा रहे हैं, तो आपको कम से 1500 रुपए टोल टैक्स देना होगा। रांची से धनबाद जाते समय आपको दो टोल टैक्स देना होगा। लेकिन कम से कम बीस कटेगरी टोल टैक्स नहीं देते हैं
टोल नाका पर प्रत्येक गाड़ी का अलग-अलग खर्च
टोल नाका पर प्रत्येक गाड़ी का अलग-अलग शुल्क लिया जाता है। बस और ट्रक पर अधिक टैक्स लगता है, लेकिन कार पर कम। यही कारण है कि शातिर लोग बड़ी कारों पर छोटी कारों का फास्टैग लगाकर घपला कर रहे हैं। फास्टैग नहीं लगाने पर दोगुना शुल्क लगाया जाएगा।
वर्तमान में देश के लगभग सभी हाईवे और एक्प्रेस वे पर टोल टैक्स लगाया जाता है, लेकिन २५ श्रेणी के वाहनों पर टोल टैक्स नहीं लगाया जाता है, केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार।
करीब दस साल पहले, केवल नौ श्रेणियों के वाहनों को टोल टैक्स से छूट मिलती थी, लेकिन अब 25 हैं।
जिन वाहनों पर टोल टैक्स नहीं लगाया जाएगा, उनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और न्यायाधीशों के नाम हैं। विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी निजी यात्रा पर भी टोल टैक्स नहीं देते।
इसमें रक्षा, पुलिस, फायर फाइटिंग, एंबुलेंस, शव वाहन, मजिस्ट्रेट, सचिव, विभिन्न विभागों के सचिव, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी शामिल हैं। राज्य सरकारों से छूट मिलने वालों की सूची है।
परीक्षण से पता चला कि फास्टटैग लगाकर राजस्व चोरी
15 फरवरी 2021 से, केंद्रीय सरकार ने टोल प्लाजा पर फास्टैग को अनिवार्य कर दिया है।
टोल पार करने के लिए लोग छोटी कार का फास्टैग लगाकर निकल रहे हैं। जिससे सरकार लाखों रुपये बर्बाद कर रही है।
नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचआई) की जांच से पता चला कि टोल पार करने वाली गाड़ी दूसरी है और किसी और का फास्टैग लगा हुआ है। ऐसे में 300 से 500 रुपये की टैक्स चोरी होती है। जिससे लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।