आर्थिक थिंक टैंक, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने सरकार से आग्रह किया है कि वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में प्लेटिनम, चांदी, हीरे, और सोने के आभूषणों पर दी गई शुल्क कटौती की रियायत को वापस ले।
क्या है FTA और क्यों है समीक्षा की ज़रूरत?
भारत और यूएई के बीच 18 फरवरी 2022 को एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो 1 मई 2022 को लागू हुआ। इस समझौते के तहत कई धातुओं पर शुल्क रियायत दी गई है, जिससे भारत में इन धातुओं का आयात आसान हो गया है। अब सरकार इस समझौते के कुछ प्रविधानों की समीक्षा करने पर विचार कर रही है।
घरेलू उद्योग पर असर
GTRI का कहना है कि FTA के तहत अगले कुछ वर्षों में भारत में सोना, चांदी, प्लेटिनम और हीरे का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकता है, जिससे घरेलू उद्योग को बड़ा नुकसान हो सकता है। उनका दावा है कि इस समझौते के तहत मूल नियमों का दुरुपयोग हो सकता है, जिससे भारतीय बाजार में अस्थिरता आ सकती है। इसलिए, GTRI ने सुझाव दिया है कि सरकार इस समझौते की समीक्षा करे और इन धातुओं पर दी गई शुल्क रियायतों को वापस ले।
उत्पत्ति के नियमों को सख्त करने का सुझाव
GTRI ने यह भी सुझाव दिया है कि दुबई के रास्ते रूस से प्रतिबंधित धातुओं के आयात को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही, गिफ्ट सिटी बुलियन एक्सचेंज को दिए गए विशेषाधिकारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य बुलियन आयात को नियंत्रित करना और दुबई से होने वाले आयात के दुरुपयोग को रोकने के लिए उत्पत्ति के नियमों को सख्त बनाना होना चाहिए।
GTRI के संस्थापक का क्या कहना है?
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत ने दुबई से प्लेटिनम की असीमित मात्रा को शून्य शुल्क पर आयात करने की सहमति दी है, जो 2026 तक शून्य हो जाएगी। यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार, केवल दो प्रतिशत प्लेटिनम वाली धातु को भी प्लेटिनम के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।