संभावनाओं से भरपूर यूएई के संपन्न निवासी चाहे वे उद्यमी हों या हाई-नेट-वर्थ प्रवासी लंबे समय से अमेरिका को ‘प्लान बी’ के रूप में देखते आए हैं। जहां उन्हें वैश्विक स्वतंत्रता, उत्कृष्ट शिक्षा और अपने परिवार के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा मिल सकती है।
लेकिन पैसा और यात्रा की आज़ादी होने के बावजूद, अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) पाना अब भी एक जटिल और थकाने वाली प्रक्रिया बनी हुई है। हाल ही में एक आकर्षक नया कार्यक्रम लॉन्च हुआ है “ट्रंप गोल्ड कार्ड”, जो $5 मिलियन के निवेश पर ग्रीन कार्ड के लिए फास्ट-ट्रैक वादा करता है और यह दुबई में काफी चर्चा का विषय बन गया है।
लेकिन अमेरिका में गंभीरता से बसने की सोच रखने वालों के लिए, इस योजना ने एक बड़ा सवाल फिर से खड़ा कर दिया है। इतना पैसा लगाने के बावजूद अमेरिका में निवेश के ज़रिए स्थायी निवास हासिल करना अब भी इतना मुश्किल और जोखिम भरा क्यों है?
EB-5: पहले समाधान था, अब बना सिरदर्द
कई सालों तक, EB-5 इन्वेस्टर वीज़ा अमेरिका में स्थायी निवास पाने के इच्छुक यूएई-आधारित संपन्न परिवारों के लिए सबसे पसंदीदा रास्ता था। इस योजना के तहत, यदि कोई निवेशक कम से कम $800,000 की राशि किसी सरकारी स्वीकृत प्रोजेक्ट में लगाए और 10 अमेरिकी नौकरियां उत्पन्न करे, तो उसे और उसके परिवार को ग्रीन कार्ड मिल सकता था। लेकिन पिछले एक दशक में, यह कभी लोकप्रिय रहा रास्ता अब काफी धीमा और जटिल हो गया है। यूएई से आवेदन करने वाले निवेशकों को अब इन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
यूएई निवासियों के लिए EB-5 वीज़ा अब मुश्किलों भरा रास्ता
अब यूएई से EB-5 इन्वेस्टमेंट वीज़ा के ज़रिए अमेरिका में बसने के इच्छुक निवेशकों को कई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है:
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लंबी प्रोसेसिंग समयसीमा – कई बार फैसले में 2 से 4 साल या उससे अधिक का समय लग जाता है।
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प्रोजेक्ट अप्रूवल को लेकर अनिश्चितता – निवेश किया गया प्रोजेक्ट सरकारी मंज़ूरी पाए या नहीं, यह निश्चित नहीं होता।
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निवेश राशि डूबने का खतरा – अगर प्रोजेक्ट फेल हो जाए, तो पूरा पैसा डूब सकता है।
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कानूनी और नियामक जांच में वृद्धि – निवेशकों पर अब अधिक लीगल और कंप्लायंस स्क्रूटनी की जा रही है।
जो लोग पहले से सेकंड पासपोर्ट (जैसे पुर्तगाल, ग्रेनेडा या सेंट किट्स) रखते हैं और तेज़ व पारदर्शी प्रक्रियाओं के अभ्यस्त हैं, उनके लिए EB-5 अब एक ब्यूरोक्रेटिक (दफ्तरी) सिरदर्द बन गया है — भले ही यह अमेरिकी कानून द्वारा समर्थित हो।
ट्रंप गोल्ड कार्ड: आसान रास्ता या और भी ज़्यादा जोखिम भरा?
EB-5 वीज़ा प्रक्रिया से परेशान निवेशकों के लिए अब एक नया विकल्प सामने आया है वो है ट्रंप गोल्ड कार्ड। यह योजना अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान से जुड़ी हुई बताई जा रही है, जो $5 मिलियन (लगभग ₹41 करोड़) निवेश के बदले अमेरिका में लंबी अवधि की रेजीडेंसी देने का वादा करती है।
इस योजना के अंतर्गत:
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कोई जॉब क्रिएशन की शर्त नहीं है
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विदेशी आय पर टैक्स नहीं लगेगा
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EB-5 जैसी कागज़ी देरी नहीं होगी
कागज़ों पर यह योजना UAE के अमीर निवेशकों के लिए एक आदर्श समाधान जैसी लगती है।
अमेरिकी इमिग्रेशन कानून के तहत यह स्कीम कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। एक अमेरिकी वकील, जो मिडल ईस्ट के ग्राहकों के साथ काम करते हैं, उन्होंने चेतावनी दी कि “यह इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के तहत मान्य वीज़ा कैटेगरी नहीं है। भले ही आप पैसा दें, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपको वीज़ा मिलेगा।” लेकिन इसके बावजूद दुबई स्थित कई वेल्थ एडवाइज़र रिपोर्ट कर रहे हैं कि EB-5 के विकल्प के रूप में ट्रंप गोल्ड कार्ड को लेकर यूएई निवेशकों की पूछताछ में तेज़ उछाल आया है।
वास्तविक दुविधा: रेजीडेंसी तो चाहिए, पर भरोसे के साथ
चाहे EB-5 हो या ट्रंप गोल्ड कार्ड यूएई निवासियों को एक जैसी मूल समस्या का सामना करना पड़ रहा है: कोई भी निवेश आधारित योजना अमेरिका में तेज़, स्पष्ट और सुरक्षित रास्ता एक साथ नहीं दे पा रही है।
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EB-5 में कानूनी ढांचा है, लेकिन देरी और जोखिम बहुत ज़्यादा हैं
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गोल्ड कार्ड तेज़ और आसान लगता है, लेकिन कानूनी स्थिति अस्पष्ट है
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अन्य विकल्प जैसे E-2 वीज़ा (संविदा देशों के ज़रिए) सिर्फ अस्थायी निवास देते हैं, स्थायी नहीं
नतीजा क्या है?
कई यूएई-आधारित परिवार अब अपनी पूंजी को दुनिया भर की विभिन्न योजनाओं में “पार्क” कर रहे हैं — जैसे कैरिबियन पासपोर्ट, पुर्तगाल की रेजीडेंसी — ताकि अमेरिका के लिए कोई मजबूत रास्ता खुलने तक उनके पास विकल्प सुरक्षित रहें।




