अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी और घरेलू शेयर बाजार में निवेशकों की सतर्कता के कारण अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले बुधवार को रुपया 45 पैसे गिरकर 82.67 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह छह महीनों के दौरान एक दिवसीय आधार पर सबसे बड़ी गिरावट है।
रुपये की कमजोरी का वैश्विक बाजारों के संकेत और डॉलर की मजबूती का असर
वैश्विक बाजारों में निवेशकों के जोखिम लेने से बचने का माहौल और एशियाई मुद्राओं में कमजोरी के बीच रुपये का रुख नकारात्मक रहा। डॉलर की तुलना में अन्य प्रमुख मुद्राओं के मजबूत होने से भी रुपये पर दवाब रहा।
रुपया अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में 82.38 प्रति डॉलर पर खुला, दिन में उसकी उच्चता 82.37 प्रति डॉलर थी। अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव से 45 पैसे कम होकर 82.67 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
यह छह महीने में रुपये की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। पहले, छह फरवरी को रुपये में 68 पैसे की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई थी, जब यह 82.76 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।
महत्वपूर्ण जानकारी:
- अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया: 82.67 प्रति डॉलर
- दिवसीय गिरावट: 45 पैसे
- छह महीने में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट: 68 पैसे (छह फरवरी)
- डॉलर सूचकांक: 102.64 (0.33 प्रतिशत वृद्धि)
- ब्रेंट क्रूड वायदा: 82.98 डॉलर प्रति बैरल (2.27 प्रतिशत गिरावट)
- सेंसेक्स: 65,782.78 अंक (676.53 अंक गिरावट)
- एफआईआई द्वारा बेचे गए शेयरों का मूल्य: 1,877.84 करोड़ रुपये
भारतीय मुद्रा की इस गिरावट के संभाव्य प्रभावों के बारे में सोचते हुए, यह भारतीय निर्यातकों पर धनराशि का दबाव डाल सकता है, क्योंकि यह उनकी आय को घटा सकता है। इसके अलावा, यह आयात की कीमतों में वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ सकता है।