भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की डिलीवरी में देरी हो सकती है। पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि ये 200 स्लीपर वेरिएंट ट्रेनें जल्द ही पटरियों पर दौड़ेंगी, लेकिन अब तकरीबन ₹60,000 करोड़ के सप्लाई और मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट में कोच के डिज़ाइन और ट्रेन की लंबाई को लेकर चर्चाएं अभी भी अंतिम रूप में नहीं पहुँच पाई हैं।
क्या है समस्या?
रेलवे को 24 कोच वाली ट्रेनों की ज़रूरत है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट में इसे लेकर विवाद हो गया है। इस कॉन्ट्रैक्ट में रेलवे को बिना किसी अतिरिक्त लागत के 12, 16, या 24 कोच वाली ट्रेनें मांगने का अधिकार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “कॉंट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार, रेलवे कोच की संरचना को बदल सकती है। लेकिन, इसके लिए रेल मंत्रालय और सप्लायर्स के बीच बातचीत का दौर जारी है, जिससे ट्रेन की डिलीवरी में देरी हो रही है।”
सप्लायर और प्रोटोटाइप मेंटेनेंस का क्या है मामला?
इन 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की सप्लाई और मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट Kinet Railway Solutions, और Bharat Heavy Electricals Ltd (BHEL) और Titagarh Rail Systems (TRS) के कंसोर्टियम को 2023 के मध्य में दिया गया था। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, एक साल में प्रोटोटाइप ट्रेनें दिखाने की योजना थी, लेकिन अभी तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
इसके अलावा, BEML और चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को 10 ट्रेनों की सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। BEML-ICF की प्रोटोटाइप ट्रेन के कुछ कोच इस महीने की शुरुआत में दिखाए गए थे, और इसके पहले बैच के इस साल के अंत तक व्यावसायिक रूप से लॉन्च होने की उम्मीद है।
Kinet Railway Solutions का क्या कहना है?
Kinet Railway Solutions, जो एक इंडो-रशियन जॉइंट वेंचर है, को 120 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की सप्लाई का टेंडर मिला है। हर 16-कोच रेक की लागत ₹120 करोड़ है। वहीं, BHEL-TRS कंसोर्टियम को 80 ट्रेनों की सप्लाई का ऑर्डर मिला है। Kinet Railway Solutions के प्रवक्ता ने कहा कि, “भारतीय रेलवे के साथ अभी चर्चा चल रही है और एक बार सभी बातें तय हो जाने के बाद, नए प्रोजेक्ट का टाइमलाइन तय किया जाएगा। हम पूरी तरह से इस कॉन्ट्रैक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
अभी कितनी ट्रेनें चल रही हैं?
वर्तमान में, भारतीय रेलवे में वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की योजना चल रही है। ये ट्रेनें यात्रियों को तेज, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करती हैं। लेकिन स्लीपर वेरिएंट की देरी से रेलवे की इस योजना को धक्का लग सकता है।
आगे का क्या प्लान है?
अब देखना होगा कि रेलवे और सप्लायर्स के बीच ये चर्चाएं कब तक पूरी होती हैं और वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें पटरियों पर दौड़ने के लिए कब तैयार होती हैं। लेकिन इतना तय है कि भारतीय रेलवे की ये महत्वाकांक्षी परियोजना भविष्य में रेल यात्रियों के लिए एक बेहतरीन अनुभव साबित होगी।
(नोट: इस खबर में दिए गए सभी आंकड़े और जानकारियाँ विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई हैं। रेलवे से संबंधित कोई भी फैसला लेने से पहले आधिकारिक सूचना की प्रतीक्षा करें।)