विवेक ओबेरॉय अिभनेता सुरेश ओबेरॉय के बेटे हैं. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जब अपना करियर शुरू किया था, तब उनका चार्म और टैलेंट देखकर सबको लगता था कि वह इंडस्ट्री के शानदार अिभनेता बनकर उभरेंगे. विवेक ने इस प्रेडिक्शन को सच साबित करते हुए ‘कंपनी’ और ‘साथिया’ जैसी शानदार फिल्में भी दीं, मगर फिर उनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया, जिससे उनका करियर खत्म हो गया. उन्हें काम मिलना बंद हो गया.
अपने उस बुरे दौर को याद करते हुए विवेक ने कहा कि उन दिनों उनके मन में आत्महत्या करने के ख्याल आते थे. उन्हें लगता था कि बस सबकुछ खत्म कर लें. इसिलए वह सुशांत सिंह राजपूत के दर्द से खुद को रिलेट कर सकते हैं. विवेक ने कहा कि उस बुरे दौर से बाहर निकलने में उनकी वाइफ प्रियंका ने मदद की. ओबेरॉय ने कहा कि उन्होंने वह वक्त भी झेला है जब करीब डेढ़ साल तक उनके पास कोई काम नहीं था. आसपास की निगेटिविटी से वह परेशान हो गए थे. सबकुछ खत्म करने का मन होता था. उन्होंने कहा, “सबकुछ खत्म करने का मतलब काफी गहरा है. इसिलए वह उस दर्द को फील कर सकते हैं जिससे सुशांत सिंह राजपूत या इस तरह के बाकी कलाकार गुजर चुके हैं.
मैं उस डार्क साइड और दर्द को फील किया है जो काफी क्रूर हो सकती है. कई बार ये आपको कुचलने की किोशश भी करती है. झूठ जब तेजी से और बार-बार बोला जाता है, तो ये सच लगने लगता है. हालांकि, बहुत दिनों तक सच को झूठा नहीं बताया जा सकता है.” विवेक ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें कुछ कैंसर पीड़ित बच्चों से मिलाया जिन्हें देखकर उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत मिली. विवेक ओबेरॉय हाल ही में सुनील शेट्टी के साथ ‘धारावी बैंक’ में नजर आए.