आपने देखा होगा बड़े टूर्नामेंट जैसे वर्ल्डकप, चैंपियंस ट्रॉफी इत्यादि में मैच शुरू होने के ठीक पहले दोनों टीमों के खिलाडियों को छोटे छोटे बच्चो का हाथ पकड़ कर मैदान पर आते है. उसके बाद बारी बारी से दोनों टीमों का राष्ट्रगान होता है. यह प्रथा सबसे पहले फुटबॉल से शुरू हुई थी. अब अन्य खेलों ने भी इसे अपना लिया है.आमतौर पर यह बच्चें उसी देश , राज्य या शहर के होते है जहाँ मैच का आयोजन होता है। अब आते है इसके कारण पर.
पहला कारण:
यह प्रथा अनाथ, वंचित बच्चों, NGO के बच्चों, असाधारण बच्चों के लिए शुरू की गई जिससे NGO को कुछ धन मिल जाये। यह एक तरीक़े से चैरिटी का पार्ट होता हैं.
दूसरा कारण:
आपको पता होगा बच्चे मन के सच्चे होते हैं और उनके दिल में किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं होती. वो किसी बात को अपने दिल से लगा कर नहीं बैठते. ऐसे में उन बच्चों का खिलाडियों के साथ आने का मतलब यही रहता है की खिलाडी भी खेल भावना बनाये रखे अगर खेल के दौरान खटपट हो तो उसे दिल से न लगाए और बच्चों की तरह भूल जाये और दोस्ती बनाये रखे. ईमानदारी से खेले.