राया हेरिटेज सिटी को ज़मीन पर उतारने की तैयारियाँ अब ज़ोर पकड़ रही हैं। यमुना विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) ने संकेत दिए हैं कि अगले महीने तक ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल’ (आरएफपी) जारी होने की पूरी उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट ब्रज और मथुरा क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को एक नई पहचान देने के मकसद से तैयार किया जा रहा है। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को पहले ही प्रशासन की हरी झंडी मिल चुकी है।
मई 2025 तक होगा कम्पनी का चयन
यमुना प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि मई 2025 तक हेरिटेज सिटी के विकास के लिए कंपनी का चयन कर लिया जाएगा। इससे प्रोजेक्ट पर काम करने वाली एजेंसी और कंस्ट्रक्शन पार्टनर की स्थिति साफ़ हो जाएगी। माना जा रहा है कि एक बार टेंडर इत्यादि की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, ज़मीन पर वास्तविक निर्माण शुरू हो जाएगा।
10 साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट
सूत्रों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट क़रीब 10 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान यहाँ बृज क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक महत्व और आधुनिक सुविधाओं का तालमेल देखने को मिलेगा। हेरिटेज सिटी के अंतर्गत 12 गाँवों को शामिल किए जाने की योजना है, जिनमें स्थानीय लोगों को भी रोज़गार के अवसर मिलने की उम्मीद है।
स्थानीय लोगों को होगा फ़ायदा
अधिकारियों के मुताबिक, हेरिटेज सिटी के विकास से न सिर्फ़ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आस-पास के लोगों के लिए नौकरियों और छोटे-बड़े बिज़नेस के मौके भी खुलेंगे। चूँकि प्रोजेक्ट में लोकल आर्ट, हैंडीक्राफ़्ट, ब्रज संस्कृति और धार्मिक स्थलों को मुख्य स्थान दिया जाएगा, इसलिए क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मज़बूत होने की संभावना है।
प्रोजेक्ट के मुख्य आकर्षण
- धार्मिक पर्यटन: चूँकि यह इलाक़ा मथुरा-वृंदावन के पास है, इसलिए यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को एक ही जगह कई सुविधाएँ और सांस्कृतिक अनुभव मिलेंगे।
- आर्ट एंड क्राफ़्ट: स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का मौक़ा मिलेगा, जिससे उनकी आजीविका में सुधार हो सकता है।
- आधुनिक इंफ़्रास्ट्रक्चर: पर्यटकों की सुविधा के लिए मॉडर्न सुविधाओं का प्रबंध किया जाएगा, जैसे होटल, रेस्टोरेंट, कन्वेंशन सेंटर आदि।
आगे की राह
अगले महीने आरएफपी जारी होने के बाद, प्राधिकरण को उम्मीद है कि निवेशक और निर्माण कंपनियाँ अपनी-अपनी योजनाएँ सामने रखेंगी। यह प्रोजेक्ट तीन से चार चरणों में विभाजित होगा, ताकि हर चरण में काम की गुणवत्ता बनी रहे और समय पर पूरा हो सके। एक अधिकारी ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाएगी और योग्य कंपनियों को ही शामिल किया जाएगा।