भारत में इस समय इनकम टैक्स की दो व्यवस्थाएं चल रही हैं: पुरानी टैक्स व्यवस्था और नई टैक्स व्यवस्था। सरकार नई व्यवस्था को ज़्यादा प्रोत्साहित कर रही है। इस साल के बजट में नई व्यवस्था के तहत ₹12.75 लाख तक की सालाना आय को टैक्स-फ्री कर दिया गया है। हालांकि, पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
पुरानी vs नई टैक्स व्यवस्था: मुख्य अंतर
- पुरानी व्यवस्था: ₹4 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं। इसमें कई छूट (जैसे HRA, एजुकेशन लोन, इंश्योरेंस) मिलती हैं, जिनसे टैक्स कम लगता है।
- नई व्यवस्था: ₹12.75 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं, लेकिन कोई छूट नहीं मिलती।
नोट: अगर आप पुरानी व्यवस्था चुनते हैं, तो टैक्स बचाने के लिए निवेश और खर्चों पर छूट का फायदा उठा सकते हैं।
टैक्स बचाने के लिए बेस्ट निवेश विकल्प
1. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
- फायदा: सेक्शन 80CCD(1B) के तहत ₹50,000 और सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट।
- किसके लिए: रिटायरमेंट प्लानिंग करने वालों के लिए बेस्ट।
2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
- फायदा: निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी राशि पूरी तरह टैक्स-फ्री। सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख छूट।
- किसके लिए: लॉन्ग-टर्म सेफ निवेश चाहने वाले।
3. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
- फायदा: बेटियों के नाम पर निवेश करें। सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख छूट + मैच्योरिटी पर टैक्स-फ्री रिटर्न।
- किसके लिए: बच्चों के भविष्य की प्लानिंग करने वाले माता-पिता।
4. ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम)
- फायदा: सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख छूट। सिर्फ 3 साल का लॉक-इन पीरियड।
- किसके लिए: हाई रिटर्न चाहने वाले और रिस्क लेने को तैयार इन्वेस्टर्स।
5. सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
- फायदा: सालाना 8.2% ब्याज + ₹30 लाख तक निवेश पर टैक्स छूट।
- किसके लिए: 60+ उम्र के सीनियर्स।
6. एनपीएस वात्सल्य स्कीम
- नया अपडेट: बच्चों के नाम से निवेश करने वाले माता-पिता को सेक्शन 80CCD(1B) के तहत ₹50,000 की अतिरिक्त छूट।
कितनी टैक्स छूट मिलती है?
- सेक्शन 80C: सभी टैक्सपेयर्स ₹1.5 लाख तक की छूट पा सकते हैं (PPF, ELSS, बच्चों की फीस आदि पर)।
- अतिरिक्त छूट: NPS और एनपीएस वात्सल्य में ₹50,000 अतिरिक्ट।
कौन सी व्यवस्था चुनें?
- अगर आप छूट और निवेश का फायदा लेना चाहते हैं, तो पुरानी व्यवस्था बेहतर।
- अगर आपकी आय ₹12.75 लाख से कम है और छूट नहीं चाहिए, तो नई व्यवस्था फायदेमंद।
टिप: टैक्स प्लानिंग से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से ज़रूर सलाह लें।