आयकर विभाग अब टैक्स चोरी को रोकने और टैक्स नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए पहले से कहीं ज्यादा सतर्क हो गया है। जिन लोगों ने अभी तक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है या जो अपनी असली आय को कम दिखा रहे हैं, वे विभाग के रडार पर आ सकते हैं। इसके लिए विभाग ने डेटा एनालिटिक्स और सरकारी एजेंसियों से प्राप्त जानकारी का उपयोग शुरू कर दिया है, जिससे संदिग्ध लेन-देन का आसानी से पता लगाया जा सके।
किन लोगों पर है विभाग की खास नजर?
आयकर विभाग की निगरानी उन व्यक्तियों पर है जिनके बैंक खातों में भारी लेन-देन हो रहा है, लेकिन वे उचित टैक्स नहीं भर रहे। हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बैंकों, डाकघरों, सहकारी समितियों, फिनटेक कंपनियों और म्यूचुअल फंड हाउसों जैसी स्व-रिपोर्टिंग संस्थाओं (SROs) को निर्देश दिया है कि वे हर वित्तीय वर्ष में किए गए हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन की विस्तृत जानकारी 31 मई तक आयकर विभाग को सौंपें।
हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन क्या होते हैं?
हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन वे वित्तीय लेन-देन होते हैं जो निश्चित सीमा से अधिक होते हैं। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ऐसे लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग को देते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपनी आय के अनुपात में अधिक खर्च कर रहा है लेकिन ITR दाखिल नहीं कर रहा, तो उसे नोटिस भेजा जा सकता है।
किन लेन-देन पर आयकर विभाग की नजर रहती है?
आयकर विभाग स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT) के तहत फॉर्म 61A या फॉर्म 61B (रिपोर्टेबल अकाउंट) के माध्यम से हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड रखता है। नीचे ऐसे लेन-देन की सूची दी गई है जिन पर विभाग खास ध्यान देता है:
लेन-देन का प्रकार | राशि की सीमा | रिपोर्टिंग संस्था |
---|---|---|
बैंक ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, या प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट की खरीद | ₹10 लाख या उससे अधिक नकद भुगतान | बैंक या सहकारी समिति |
बचत खाते में नकद जमा | ₹10 लाख या उससे अधिक | बैंक, सहकारी बैंक, या डाक विभाग |
चालू खाते में नकद जमा/निकासी | ₹50 लाख या उससे अधिक | बैंक या सहकारी बैंक |
संपत्ति की खरीद/बिक्री | ₹30 लाख या उससे अधिक | संपत्ति रजिस्ट्रार या उप-पंजीयक |
शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड में निवेश | ₹10 लाख या उससे अधिक नकद निवेश | संबंधित कंपनी या म्यूचुअल फंड ट्रस्टी |
क्रेडिट कार्ड बिल का नकद भुगतान | ₹1 लाख या उससे अधिक | बैंक या सहकारी समिति |
क्रेडिट कार्ड बिल का अन्य माध्यमों से भुगतान | ₹10 लाख या उससे अधिक | बैंक या सहकारी समिति |
विदेशी मुद्रा से जुड़े लेन-देन | ₹10 लाख या उससे अधिक खर्च या खरीद | अधिकृत विदेशी मुद्रा डीलर |
फिक्स्ड/रिकरिंग डिपॉजिट में नकद जमा | ₹10 लाख या उससे अधिक | बैंक, सहकारी बैंक, निधि कंपनी, या NBFC |