बिहार के नए एक्सप्रेसवे निर्माण की तैयारियाँ
राज्य सरकार ने एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बिहार एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के गठन पर विचार करना शुरू कर दिया है। यह अथॉरिटी ना सिर्फ योजना बनाने में बल्कि भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य में भी मुख्य भूमिका निभाएगी। इससे परियोजनाओं में तेजी आएगी और कार्य में कोई रुकावट नहीं आएगी।
बिहार में विकसित होने वाले प्रमुख एक्सप्रेसवे
सरकार ने राज्य में पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे विकसित करने की योजना बनाई है। ये एक्सप्रेसवे विभिन्न भागों को जोड़ने के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों से भी जुड़ेंगे। प्रस्तावित एक्सप्रेसवे में शामिल हैं:
1. पटना–पूर्णिया एक्सप्रेसवे: लगभग 282 किमी
2. बक्सर–हाजीपुर एक्सप्रेसवे: लगभग 650 किमी
3. गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: लगभग 520 किमी
4. वाराणसी–रांची–कोलकाता एक्सप्रेसवे: लगभग 612 किमी
5. पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर: भविष्य में प्रस्तावित
इन परियोजनाओं की कुल लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
विकास और रोजगार के नए अवसर
ये एक्सप्रेसवे न सिर्फ आवागमन को सरल बनाएंगे, बल्कि उद्योग और व्यापार को भी बढ़ावा देंगे। निर्माण कार्य के चलते लाखों लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है और राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इसके अलावा, कृषि और औद्योगिक उत्पादों की आवाजाही भी तेजी से हो सकेगी।
भूमि अधिग्रहण और निवेश रणनीतियाँ
सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाने का आश्वासन दिया है। एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए फंडिंग विभिन्न स्रोतों जैसे राज्य बजट, संस्थागत निवेश और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के माध्यम से की जाएगी।
बिहार की नई पहचान
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये योजनाएं समय पर पूरी होती हैं, तो बिहार की सड़कें और अवसंरचना प्रदूषित और असुविधाजनक स्थिति से उबरकर विकसित राज्यों के स्तर तक पहुँच जाएँगी। यह बिहार को एक एक्सप्रेसवे राज्य के रूप में स्थापित कर सकता है।
कुल मिलाकर, यह निर्णय राज्य के विकास की रफ्तार को तेज और स्थायी बनाने की दिशा में कदम उठाता है। अब बस इंतजार है कि एक्सप्रेसवे अथॉरिटी का गठन कब होता है और कार्य कब शुरू होगा।





