अभी दो महीने पहले की ही बात है कि टमाटर के भाव 200 रुपये प्रति किलो से भी ऊपर पहुंच गए थे। इतनी महंगाई ने आम जनता से लेकर सियासी गलियारों में भी हलचल पैदा कर दी थी।
बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटलों में भी पकवानों से टमाटर गायब हो गया था। लिहाजा सरकार को टमाटर के दाम नीचे लाने के लिए सब्सिडी देनी पड़ी और जगह-जगह सरकारी स्टॉल भी लगाए गए। जहां, आम जनता को राहत देने के लिए 50 रुपये किलो टमाटर बेचा जा रहा था।
लेकिन, अब टमाटर के भाव अर्श से फर्श पर आ चुके हैं। आंध्र प्रदेश में तो टमाटर 2 से 3 रुपये किलो बिक रहा है। आलम यह है कि दो महीने टमाटर से भरपूर मुनाफा कमाने वाले किसान अब मुसीबत में पड़ गए हैं और फसल को सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि टमाटर के भाव इतना नीचे गिर गए हैं कि उन्हें खेत से मंडी तक ले जाने का भाड़ा तक निकालना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में रायलसीमा के कई किसानों ने अपनी उपज सड़कों पर फेंक दी है।
थोक में 10 रुपये से नीचे पहुंची कीमत
टमाटर के भावों में गिरावट का आलम यह है कि कई बाजारों में इसकी थोक कीमतें 10 रुपये से नीचे गिर गई हैं। वहीं खुदरा कीमत 20 से 30 रुपये प्रति किलो के बीच है। अनंतपुर जिले के इप्पेरू के किसान के वन्नूरू स्वामी ने कहा कि टमाटर के दामों में भारी गिरावट के कारण उन्होंने खेद में ही फसल छोड़ दी है। उन्होंने बताया, मैंने तीन एकड़ में टमाटर की फसल लगाई थी, इसमें एक लाख रुपये से अधिक का खर्च आया था, लेकिन अब लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया, कई किसानों में माल ढुलाई का भाड़ा भी अपनी जेब से भरा है। इसलिए उन्होंने इस सीजन के लिए अपनी फसल खेत में छोड़ने का फैसला किया है।
कई जगह 400 रुपये में भी बिका था टमाटर
दो महीने पहले जब टमाटर की कीमतें बढ़ीं थीं तो कई जगह टमाटर के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे। टमाटर की कीमत रिटेल में 250 से लेकर 400 रुपये तक पहुंच गई थी, जिससे हाहाकार मच गया था।