प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत गरीब और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए बनाए गए घरों में से करीब 47% खाली पड़े हुए हैं। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, इन घरों के खाली रहने का मुख्य कारण बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यह योजना गरीबों को घर मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन इसका असली लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
क्या हैं मुख्य कारण?
- बुनियादी सुविधाओं की कमी:
जिन घरों को बनाया गया है, वहां सड़क, पानी, बिजली और सीवेज जैसी सुविधाएं पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं।- खासकर इन-सिटू स्लम रीडेवलपमेंट (ISSR) योजना के तहत बने घरों में यह समस्या ज्यादा है, जहां 70% घर खाली पड़े हैं।
- कम आवासीय दरें:
कुल मिलाकर, 9.7 लाख घरों में से सिर्फ 5.1 लाख घरों में ही लोग रह रहे हैं।- AHP (अफोर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप) के तहत बने 4.1 लाख घर अभी भी खाली हैं।
- ISSR के 67,806 घरों में से 47,510 अभी तक खाली पड़े हैं।
- निर्माण और आवंटन में देरी:
निर्माण कार्य और आवंटन में देरी भी बड़ी समस्या है। कई लाभार्थी इन घरों में जाने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
PMAY-शहरी योजना के तहत, सड़क, पानी और सीवेज जैसी सुविधाओं का काम राज्य सरकारों के जिम्मे है। लेकिन राज्यों की लापरवाही के कारण ये बुनियादी सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच पाई हैं।
केंद्र सरकार की मदद
इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने:
- ISSR के हर घर के लिए ₹1 लाख की आर्थिक मदद दी।
- AHP के तहत हर घर के लिए ₹1.5 लाख की मदद दी।
फिर भी, राज्यों की सुस्ती के कारण कई घर अभी भी रहने लायक नहीं बन पाए हैं।
संसदीय पैनल की सिफारिशें
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जाए।
- निर्माण और बुनियादी ढांचे में हो रही देरी को जल्द से जल्द ठीक किया जाए।
- हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर सख्त नजर रखी जाए।
योजना की अब तक की प्रगति
- अब तक 88 लाख घरों का वितरण लाभार्थियों को किया जा चुका है।
- कुल 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है।
- यह योजना 2015 में शुरू हुई थी और इसे 2022 में खत्म होना था। लेकिन इसे अब 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
PMAY-शहरी 2.0 की नई शुरुआत
इस साल अगस्त में, PMAY-शहरी 2.0 को मंजूरी मिली, जिसमें 1 करोड़ नए घरों के निर्माण का लक्ष्य है। इस चरण में समानता और तेजी से काम पर जोर दिया जाएगा।