भारतीय शेयर बाजारों में शुक्रवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स में तेज गिरावट आई, जिससे निवेशक चिंतित हो गए। इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अमेरिकी जॉब डेटा की उम्मीदें और घरेलू सेक्टरों में बिकवाली रही। आइए, इस गिरावट के मुख्य कारणों पर नज़र डालते हैं:
1. महत्वपूर्ण अमेरिकी जॉब डेटा के पहले निवेशकों की घबराहट
भारतीय बाजार में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट का इंतजार है। यह रिपोर्ट फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती के निर्णय को प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर डेटा उम्मीद से कम आता है, तो फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कटौती कर सकता है, जिससे बाजार में और अधिक उथल-पुथल हो सकती है।
2. बैंकिंग सेक्टर में गिरावट
बैंक लोन और डिपॉजिट ग्रोथ डेटा जारी होने से पहले ही बैंकिंग स्टॉक्स में गिरावट देखी गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 तिमाही में डिपॉजिट्स में 11.7% और बैंक क्रेडिट में 15% की वृद्धि हुई। इस अंतर ने बैंकिंग सेक्टर में तरलता की चिंताओं को बढ़ा दिया, जिससे बैंक स्टॉक्स में बिकवाली देखी गई।
3. वैश्विक बाजारों में धीमा माहौल
एशिया-पैसिफिक के शेयरों में भी सुस्ती रही, जबकि जापान का निक्केई 0.1% गिर गया। चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों में भी मिश्रित प्रदर्शन देखा गया। इसने भी भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक असर डाला।
4. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 5 सितंबर को भारतीय इक्विटी मार्केट में ₹688 करोड़ की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹2,970 करोड़ की खरीदारी की। FIIs की बिकवाली ने बाजार में दबाव बढ़ाया।
5. क्रूड ऑयल और रुपए का हाल
कच्चे तेल की कीमतों में मामूली बढ़त देखी गई, जबकि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ। अमेरिकी जॉब डेटा कमजोर आने से डॉलर में गिरावट देखी गई, जिससे रुपया थोड़ा मजबूत हुआ।
सेक्टरवाइज प्रदर्शन
सेक्टर | गिरावट (%) |
---|---|
PSU बैंक | -2% |
ऑयल एंड गैस | -2% |
ऑटोमोबाइल | -1% |
बैंकिंग | -1% |
मेटल | -1% |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स | -1% |
स्मॉल-कैप | -0.9% |
मिड-कैप | -1.3% |
इस गिरावट में प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी, इंफोसिस और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में भी गिरावट आई। इस समय, निवेशकों को अमेरिकी जॉब डेटा और भारतीय बैंकिंग सेक्टर की रिपोर्ट्स पर नज़र रखनी चाहिए, क्योंकि ये आगे के बाजार के रुझान को निर्धारित कर सकते हैं