अगर आप रोजाना हाइवे या एक्सप्रेसवे पर सफर करते हैं और आपकी अपनी कार है, तो यह खबर आपके लिए खुशखबरी लेकर आई है। अब सरकार एक नए सिस्टम के तहत आपको 20 किलोमीटर तक की दूरी के लिए टोल टैक्स नहीं देना होगा। यह सुविधा सिर्फ प्राइवेट वाहनों के लिए है, टैक्सी या कमर्शियल वाहनों के लिए नहीं।
क्या है GNSS तकनीक?
सरकार ने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम की एक तकनीक पेश की है, जो गाड़ी की लोकेशन ट्रैक करती है। यदि आपकी कार में GNSS लगा हुआ है और यह एक्टिव है, तो आप बिना किसी टोल टैक्स के 20 किलोमीटर तक हाइवे या एक्सप्रेसवे पर सफर कर सकते हैं।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
सरकार ने नेशनल हाइवे फीस नियम, 2008 में बदलाव करते हुए कहा है कि अगर आपकी गाड़ी रोजाना 20 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है, तो आपसे टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। लेकिन अगर आपकी गाड़ी 20 किलोमीटर से ज्यादा चलती है, तो उस अतिरिक्त दूरी पर टोल लगेगा। टोल की गणना उसी दूरी के हिसाब से की जाएगी, जो आपकी गाड़ी ने वास्तव में तय की है।
फास्टैग के साथ GNSS का इस्तेमाल
GNSS तकनीक फास्टैग के साथ भी काम करेगी। यानी अगर आपके पास फास्टैग है, तो भी आप इस नई तकनीक का लाभ उठा सकते हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि इस नई प्रणाली से टोल प्लाजा पर गाड़ियों को रुकने की आवश्यकता कम होगी और ट्रैफिक जाम की समस्या भी घटेगी।
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
इस नई GNSS आधारित टोल प्रणाली का परीक्षण कर्नाटक के बेंगलुरु-मैसूर हाइवे (एनएच-275) और हरियाणा के पानीपत-हिसार हाइवे (एनएच-709) पर किया जा रहा है।
क्या फायदा मिलेगा?
- 20 किलोमीटर तक कोई टोल टैक्स नहीं: अगर आप रोजाना 20 किलोमीटर तक की दूरी हाइवे या एक्सप्रेसवे पर तय करते हैं, तो आपको कोई टोल टैक्स नहीं देना होगा।
- ज्यादा दूरी पर टोल टैक्स: अगर आपकी यात्रा 20 किलोमीटर से ज्यादा होती है, तो आपको अतिरिक्त दूरी के हिसाब से टोल देना होगा।
- फास्टैग के साथ GNSS: यह नई तकनीक फास्टैग के साथ भी काम करेगी, जिससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत कम होगी और सफर सुगम बनेगा।
यह नई व्यवस्था हाइवे और एक्सप्रेसवे पर सफर को और भी आसान और किफायती बनाएगी। GNSS तकनीक से गाड़ियों के लिए टोल का भुगतान अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक हो जाएगा।