वाराणसी, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, हमेशा से वीआईपी मूवमेंट के लिए जाना जाता है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पुलिस की सतर्कता और फर्जी वीआईपी बनने की कोशिशों को उजागर किया। गुरुवार को लहरतारा-फुलवरिया ओवरब्रिज पर पुलिस चेकिंग के दौरान एक लक्जरी वाहन पुलिस की नजर में आया जिसकी आगे की विंडशील्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में ‘वीआईपी’ और ‘विधायक’ लिखा हुआ था। सबसे अजीब बात यह थी कि इस गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं था।
पुलिस अधिकारियों ने वाहन के संदिग्ध गतिविधियों को भांपकर अंदर बैठे लोगों को बाहर निकाल कर पूछताछ शुरू की। प्रारंभ में तीनों ने पुलिस पर रौब डालने की कोशिश की लेकिन अधिकारियों के सख्त रवैये के बाद इन्हें झुकना पड़ा। पड़ताल में इन लोगों ने खुद को गाजीपुर निवासी हिमांशु रंजन, अंकित यादव और जनपद चंदौली निवासी अभिजीत कुमार बताया।
आगे की जांच में इन लोगों का दावा था कि उन्होंने पुलिस और टोल प्लाजा से बचने के लिए यह वीआईपी-स्टिकर लगाया था। वाहन की तलाशी लेने पर एक फर्जी ‘विधानसभा पास’ बरामद हुआ, जिसमें विधानसभा सचिवालय उत्तर प्रदेश का नाम और गाड़ी का नंबर अंकित था। वाहन चालक हिमांशु रंजन गाड़ी के वैध दस्तावेज भी नहीं दिखा सका।
इसी दौरान, पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि इस गाड़ी का असली मालिक सुजीत जायसवाल निवासी भदोही है। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने इस गाड़ी को सेकंड हैंड खरीदा था। तत्परता दिखाते हुए पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ FIR पंजीकृत कर कार को जब्त कर लिया।